नई दिल्ली । 2018 में हुए भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने नवलखा को जमानत देने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक को हटा दी है।बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ नवलखा की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने किया। पीठ ने सुनवाई के दौरान जमानत के रोक के आदेश को आगे जारी नहीं रखा। क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश बहुत बड़ा और विस्तृत है। इसलिए इस मुकदमें को पूरा होने में और कई साल लगेंगे।सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा ह्यहम रोक के आदेश को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में नवलखा की जमानत को लेकर विस्तार से बताया गया है। इस मामले की सुनवाई पूरी होने में अभी कई साल लगेंगे। ऐसे में इस मामले पर डिटेल में बहस के बिना जमानत की समय सीमा और नहीं बढ़ाया जा सकता।सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दावा किया कि नवलखा पर सुरक्षा के लिए बकाया वर्तमान में 1.75 करोड़ हो गया है। एएसजी के जवाब में जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नवलखा लंबे समय से जेल में बंद रहे। उन्होंने रोक को हटाने का सुझाव भी दिया था। वहीं नवलखा के वकील स्तुति राय और साथ में सीनियर वकील नित्या रामकृष्णन ने इस बिल का विरोध किया। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हुए हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के पूर्व सचिव को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती सालों में उनको जेल में रखा गया, हालांकि नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवलखा को अधिक उम्र होने की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया। वह तबसे नवी मुंबई स्थित अपने घर में नजरबंद हैं।