हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज द्वारा देशभर के विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के माध्यम से सनातन संस्कृति से जोड़ने का अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। भारत के अलग-अलग क्षेत्र से पहुंचे संस्कृति विस्तारकों का दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शांतिकुंज में शुभारंभ हुआ। संगोष्ठी में 18 राज्यों के 390 प्रतिभागी मौजूद रहे। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि जैसे बाल्यकाल में श्रीराम और श्रीकृष्ण ने गुरु के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की। उसी तरह आज के युवा को भी संस्कृति, शिक्षा और आध्यात्मिकता के महत्व को समझकर अपने जीवन को दिशा देने की आवश्यकता है। भावी पीढ़ी ही देश कर्णधार हैं। इन्हें सकारात्मक दिशा देने एवं प्रशिक्षित करते रहने से हमारा परिवार, समाज व राष्ट्र चहुंमुखी विकास कर पायेगा।