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पैगंबर पर बीजेपी प्रवक्ताओं की टिप्पणी से कतर नाराज, भारतीय राजदूत ने दूर की नाराजगी

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नई दिल्ली, एजेंसी। भाजपा प्रवक्ताओं की तरफ से पैंगबर मोहम्मद साहब के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के मुद्दे पर भारत ने कतर सरकार को आश्वस्त किया है कि ये टिप्पणियां किसी भी तरह से भारत सरकार के विचार नहीं है। भारत ने कतर को यह भी भरोसा दिलाया है कि टिप्पणी करने वाले या सोशल साइट पर ट्वीट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। कतर की सरकार ने इस बारे में दोहा स्थित भारतीय राजदूत को सम्मन कर अपनी नाराजगी प्रकट की।
वैसे कतर के विदेश मंत्रालय ने भाजपा की तरफ से प्रवक्ताओं के निलंबन का स्वागत किया है लेकिन भारत सरकार से भी सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने और निंदा करने की मांग की है। दोहा स्थित भारतीय दूतावास ने बताया है कि कतर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कुछ लोगों की तरफ से धार्मिक व्यक्तियों के सम्मान के खिलाफ किये गये ट्विट का मामला उठाया। राजदूत ने उन्हें बताया कि ये किसी भी तरह से भारत सरकार की भावना नहीं है।
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ऐसा फ्रिंज तत्वों (हाशिए पर खड़े लोगों) ने कहा है। भारत अपनी अनेकता में एकता की सांस्तिक विरासत के आधार पर सभी धर्मों को उच्चतम आदर देता है। इस तरह की टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जा रही है। संबंधित संगठन ने बयान भी जारी कर सभी धर्मों को आदर देने और किसी भी धर्म के व्यक्ति के सम्मान को चोट पहुंचाने के कदम की निंदा की है।
उन्होंने कतर को यह भी बताया कि कुछ स्वार्थी तत्व इस तरह की टिप्पणियों को आधार बना कर भारत-कतर के रिश्तों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हमें इन तत्वों के खिलाफ साथ मिल कर काम करना चाहिए। उधर, कतर के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर इस बैठक के बारे में जानकारी दी और कहा कि विदेश मंत्री सुल्तान बिन साद अलमुरैखी ने कतर की तरफ से नोट भारतीय राजदूत को सौंपा है।
कतर सरकार भारत में सत्ताधारी पार्टी के नेता की तरफ से इस तरह के बयान को पूरी तरह से खारिज करती है। इस तरह की टिप्पणियों से पूरी दुनिया में धार्मिक नफरत बढ़ेगा और भारत समेत पूरी दुनिया में सभ्यता के विकास में जो योगदान इस्लाम ने किया है उसे कमतर करता है।
कतर सरकार भारत की सत्ताधारी पार्टी की तरफ से उक्त टिप्पणी करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई का स्वागत करती है और उम्मीद करती है कि भारत सरकार इस बारे में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगेगी और इन टिप्पणियों की भघ्र्त्सना करेगी। कतर के कड़े विरोध की वजह से भारत को इसलिए गंभीरता दिखानी पड़ी कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू एक दिन पहले ही वहां तीनदिवसीय राजकीय यात्रा पर पहुंचे हैं।
रविवार को सुबह उनकी कतर के सबसे बड़े नेता अमीर एच एच शेख हमक बिन खलीफा अल थानी से मुलाकात हुई है जिसमें द्विपक्षीय रिश्तों के कई आयामों पर चर्चा हुई है। सनद रहे कि खाड़ी देशों के साथ अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने में जुटे भारत के लिए कतर की खास अहमियत है।
वहां अभी 7़8 लाख भारतीय रहते हैं। जबकि भारत की कुल जरूरत के गैस का बहुत बड़ा हिस्सा और वह भी बहुत ही किफायती दर पर कतर देता है। हर वर्ष भारत कतर से 85 लाख टन गैस खरीदता है और इसके लिए भी जो कीमत दे रहा है वह वैश्विक बाजार से तकरीबन आधी है। भारत अपनी गैस जरूरत पूरा करने के लिए कतर से लगातार ज्यादा गैस देने का आग्रह करता रहा है। कतर की कंपनियों ने भारत में 45 करोड़ डलर का निवेश भी किया है।

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