पब्लिक डाटा का इस्तेमाल करने वाली संस्थाओं को देना पड़ सकता है 500 करोड़ का जुर्माना, अगर नहीं किया यह काम
नई दिल्ली, एजेंसी। पब्लिक डाटा का इस्तेमाल करने वाली सरकारी व गैर सरकारी सभी प्रकार की संस्थाओं को साइबर अटैक से बचने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। अन्यथा अगले साल मार्च-अप्रैल के बाद साइबर अटैक से डाटा लीक होने पर उन्हें 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
इलेक्ट्रनिक्स व आईटी मंत्रालय के मुताबिक, आगामी बजट सत्र में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) बिल को संसद में पेश किया जाएगा और पारित होने पर डाटा प्रोटेक्शन का नया कानून आ जाएगा। इलेक्ट्रनिक्स व आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के मुताबिक, प्रस्तावित नए कानून के तहत सरकारी व गैर सरकारी किसी भी संस्थान को आम जनता के डिजिटल डाटा को किसी को बेचने या उसे लीक करने का अधिकार नहीं होगा। जनता की मर्जी लेकर ही डाटा किसी और को इस्तेमाल के लिए दिया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साइबर अटैक की वजह से भी डाटा लीक होता है तो उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर एम्स के साइबर अटैक का हवाला देते हुए कहा कि कानून बन जाने के बाद इस प्रकार का अटैक होता है और पब्लिक का डाटा लीक हो जाता है तो पब्लिक डाटा सुरक्षा बोर्ड में अपने डाटा लीक की शिकायत कर सकती है और बोर्ड उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई भी करेगा।
उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान वह संस्थान यह सफाई दे सकता है कि साइबर अटैक की वजह से डाटा लीक हुआ, लेकिन ऐसा नहीं होगा कि अटैक की वजह से डाटा लीक होने पर उस संस्थान के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी।
चंद्रशेखर ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को शक होता है कि कोई संस्थान ने उसके निजी डाटा को उसकी सहमति के बगैर किसी और को दे दिया है तो वह व्यक्ति सिर्फ ई-मेल से बोर्ड को इस बात की शिकायत कर सकता है और बोर्ड भी उस ई-मेल पर संज्ञान लेगा। बोर्ड की सुनवाई वर्चुअल तरीके से होगी और बोर्ड के फैसले को सिर्फ हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
प्रस्तावित डाटा सुरक्षा कानून में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था नहीं की गई है। मतलब किसी के निजी डाटा का उसकी मर्जी के बगैर इस्तेमाल होने पर वह व्यक्ति क्षतिपूर्ति का दावा नहीं कर सकेगा। डाटा का गलत इस्तेमाल करने वाले पर बोर्ड सिर्फ जुर्माना करेगा। कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। जुर्माने से मिलने वाली राशि सरकारी खजाने में जमा होगी।
प्रस्तावित डाटा सुरक्षा कानून में आरंभिक चरण के स्टार्टअप्स को कुछ सीमित समय तक निजी डाटा के इस्तेमाल की टूट मिल सकती है। मंत्रालय के मुताबिक कई बार कुछ स्टार्टअप्स को एआई वगैरह पर काम करने के लिए निजी डाटा की आवश्यकता होती है। लेकिन वह स्टार्टअप्स सरकार के समक्ष इसके लिए आवेदन करेगा और सरकार टूट की अवधि तय करेगी। सरकार टूट के लिए मना भी कर सकती है।