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जल जीवन मिशन योजना में नहीं हो रहा गाइडलाइन का पालन

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बागेश्वर। जल जीवन मिशन में काम कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं में योजना में गाइडलाइन का पालन नहीं होने की बात कही। उन्होंने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। वर्तमान कार्यप्रणाली से योजना के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं को बताया। उन्होंने सीएम से अपनाई जा रही कार्यप्रणाली को पूर्ववत रखने की मांग की। स्वयंसेवी संस्थाओं के अध्यक्ष और सचिवों ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत हर घर को 55 एलपीसीडी की दर से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। केंद्र सरकार से जारी गाइडलाइन में एकल योजना के निर्माण में 18 महीने और बाहुल पेयजल योजना के निर्माण में 36 महीने तक का समय दिया गया है। ताकि योजना न्यूनतम लागत में बन सके। उन्होंने कहा कि मिशन में ग्राम समितियों के गठन, समुदाय की भागीदारी कराने के लिए जल एवं स्वच्छता मिशन से चयनित नौ स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही है। जो ग्राम योजना का निर्माण सहित आवंटित गांवों के राजस्व गांवों में पेयजल योजनाओं के डीपीआर निर्माण का कार्य भी कर रही है। बताया कि पहले कार्य ठीक चल रहा था, वर्तमान में शासन से जारी गाइडलाइन की उपेक्षा की जा रही है। योजना से अहम कार्यदायी संस्था स्वजल को हटा दिया गया है। अन्य विभागों को इस बारे में तकनीकी व अन्य जानकारी नहीं है। इस कार्य के सफल क्रियान्वयन में दिक्कत हो रही है। दोनों कार्यदायी संस्थाओं को प्रशासन ने केवल नल लगाकर छोड़ देने को कहा है। इससे योजना हर घर नल, बिना जल बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की बेबसाइड पर एक अप्रैल 2020 के शेष काम को यानि 46812 परिारों को 2022-23 की बजाय 25 सितंबर 2020 तक पूरा करने के निर्देश हैं।जो किसी भी हाल में नहीं हो सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री से शासन और प्रशासन से अपनाई जा रही कार्यप्रणाली का संज्ञान लेने और प्रदेश सरकार की छवि को धूमिल होने से बचाने की मांग की।

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