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जोशीमठ: वीरान हुए घर, राहत शिविरों में कट रही जिंदगी

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जोशीमठ । जोशीमठ नगर में आई आपदा को एक माह हो गया है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से पुनर्वास को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया है। एक माह से आपदा प्रभावित परिवार शिविरों में रह रहे हैं।
नगर में भू-धंसाव और मकानों में दरारें आने का सिलसिला काफी पहले शुरू हो गया था लेकिन दो जनवरी की रात को मनोहर बाग, सिंहधार और सुनील वार्ड के कई मकानों में अचानक बड़ी-बड़ी दरारें आ गई थीं। कुछ लोगों ने रात में ही घर छोड़ दिए थे। दो जनवरी की रात को ही मारवाड़ी वार्ड के जेपी कलोनी में पानी का रिसाव शुरू हुआ और यहां भी कई आवासीय भवनों की जमीन फट गई और दीवारें चटक गईं जिससे कई भवन रहने लायक नहीं रहे।
प्रशासन ने अगले दिन यहां के कई परिवारों को राहत शिविरों में भेजना शुरू कर दिया था। वर्तमान में 249 परिवारों के 904 सदस्य राहत शिविरों में रह रहे हैं जबकि 47 परिवारों के 91 सदस्य रिश्तेदार या किराये के भवन में चले गए हैं।
आपदा के एक माह बाद भी प्रभावित परिवारों के लोग अभी राहत शिविरों में रह रहे हैं लेकिन सरकार की ओर से अभी यह तय नहीं हो पाया है कि प्रभावितों का पुनर्वास किस तरह से किया जा सकेगा। हालांकि सरकार ने पुनर्वास को लेकर तीन विकल्प जरूर दिए हैं लेकिन प्रभावित किसी एक विकल्प को चुनने में असमंजस की स्थिति में हैं। वहीं प्रशासन की ओर से उद्यान विभाग की जमीन पर प्री फेब्रिकेटेड भवन के मडल बनाने का काम अंतिम चरण में है।
भू-धंसाव तेज होने पर नगर में विभिन्न संस्थाओं के वैज्ञानिकों की टीमें जोशीमठ में जांच के लिए पहुंचीं थीं लेकिन अभी किसी भी संस्था की रिपोर्ट नहीं आई है। आपदा प्रभावितों के साथ ही नगर के सभी लोगों की निगाहें वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर लगी हुई हैं।
नगर के दो होटल माउंट व्यू और मलारी इन भू-धंसाव के कारण दिसंबर महीने में ही तिरटे हो गए थे जिससे इनकी छतें आपस में मिल गई थीं। प्रशासन ने 12 जनवरी से होटलों के ध्वस्तीकरण का काम शुरू किया था और दोनों होटलों को तोड़ने का काम अभी भी जारी है। इसके साथ ही एक माह में दो आवासीय भवन और लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस ध्वस्त किया गया है। वहीं, जेपी कलोनी में भी 15 आवासीय भवनों को तोड़ा जा रहा है।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का धरना बृहस्पतिवार को 33वें दिन भी जारी रहा। तहसील परिसर में समिति के बैनर तले धरने पर बैठे आपदा प्रभावितों की मांग है कि जल्द से जल्द पुनर्वास कर मुआवजा दिया जाए। साथ ही एनटीपीसी की परियोजना और हेलंग मारवाड़ी बाईपास के निर्माण को बंद किया जाए। धरने पर बैठने वालों में समिति के संयोजक अतुल सती, रेखा नंबूरी, मीना बहुगुणा, सरिता देवी, अनीता देवी, विनीता देवी, सुनीता देवी आदि शामिल रहे।
नगर में भू धंसाव के कारणों और उसकी वास्तविक स्थिति की जांच के लिए पहुंची सीबीआरआई रुड़की की टीम भी नगर से लौट चुकी है। बुधवार को टीम के सभी सदस्य चले गए। टीम ने यहां पूरे नगर का गहनता से निरीक्षण किया है। भवनों की स्थिति को देखकर लाल, पीले निशान और ध्वस्तीकरण के स्टीकर लगाए। वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां से मिली रिपोर्ट को वह जल्द शासन को सौंप देंगे।

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