उत्तराखंड

श्रम संगठनों ने सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया

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मजदूरों के अधिकारों के हनन करने पर आमादा है सरकार–मुनरिका यादव
हरिद्वार। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी महासंघों द्वारा घोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल के आह्वान पर हरिद्वार संयुक्त ट्रेड यूनियन समन्वय समिति के बैनर तले भेल, आंगनबाड़ी, उपनल, नगर निगम आदि के विभिन्न श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं ने चंद्राचार्य चौक से पुराना रानीपुर मोड़,ाषिकुल, देवपुरा होते हुए नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय तक रैली निकालकर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम 19 सूत्रीय मांग पत्र प्रेषित किया। नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय पर सभा के दौरान सीटू के जिला अध्यक्ष पीडी बलूनी व एटक के जिला अध्यक्ष मुनरिका यादव ने कहा कि देश की लगभग सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी महासंघों द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित ज्ञापन कई बार केन्द्र सरकार को दिये गये है। लेकिन सरकार ने न तो श्रम संगठनों से वार्ता की और ना ही मांगों के प्रति कोई सकारात्मक कदम उठाया। इसके उलट मजदूर विरोधी नये नये कानून बना कर मजदूरों के अधिकारों के हनन करने पर आमादा है। जिसके कारण श्रमिक संघों को हड़ताल का आह्वान करने को मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आम जनता व कर्मचारियों को पहले से प्राप्त अधिकारों को छीनने का लगातार प्रयास कर रही है। इसलिये असहयोग आन्दोलन चलाये जाने के अतरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाता है। सभा को एम़पीज़खमोला, पी़डी़ बलूनी, इमरत सिंह, मुनरिका यादव, दीपक शांडिल्य, एम़एस़त्यागी, आऱपीज़खमोला, डी़पी़रतूडी, के़पी़केस्टवाल, अशोक चौधरी, बीरेन्द्र सिंह, सन्दीप चौधरी, सौरव त्यागी, कदम सिंह, राजकुमार, सुरेन्द्र सिंह, एम़एस़वर्मा, विजयपाल सिंह, कालूराम जैपुरिया, आऱसी़धीमान, हरीश चन्द्र, बिक्रम सिंह नेगी, टी़के़वर्मा, के़के़लाल, भगवान जोशी, बी़के़ सिंन्हा, लालदीन, रामनिवास, चिंगारी यादव, लेखराज, सतकुमार, सुरेन्द्रा, मालती, सुधा, सुदेश, रंजीता, अर्चना, बबीता, नीलम के अतरिक्त नगर निगम कर्मचारी संयुक्त मौर्चा में सम्मिलित विभिन्न यूनियनो के पदाधिकारी सुरेन्द्र तेश्वर, राजेन्द्र श्रमिक, सुनील राठौर, राजेश छाछर, मुरली मनोहर, सुधाकर भट्ट, इन्द्र सिंह रावत, प्रवीन तेश्वर, घनश्याम रावत, शैलेन्द्र चन्द्र, अजय कुमार, दिनेश लखेडा, महावीर चौहान द्वारा विचार व्यक्त करते हुए समर्थन दिया। रैली सैकडो श्रमिक शामिल हुए।
श्रम संगठनों की प्रमुख मांगे- श्रम कानूनों में संसोधन कर बनाई गई श्रम संहिताओं को रद्द कर पुराने श्रम कानूनों को बहाल किया जाए तथा ई़डी़एस (आवश्यक प्रतिरक्षा सेवा अधिनियम) को समाप्त किया जाए। षि कानूनों के निरस्त होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के 6 सूत्री मांग पत्र को स्वीत करते हुये किसानों की समस्याओं का निराकरण किया जाए। मनरेगा के लिये आवंटन में षि और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारन्टी योजना का विस्तार किया जाए। सभी अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों के लिये सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा लागू की जाए। आंगनवाडी, आशा एवं भोजन माताओं और अन्य योजना कर्मियो के लिय वैधानिक न्यूनतम वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा का लाभ सुनिश्चित किया जाए। महामारी के दौरान जनता की सेवा करने वाले फ्रंटलाईन कार्यकर्ताओं के लिये सुरक्षा व बीमा सुविधा लागू की जाए। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने व सुधारने के लिये सम्पदा कर आदि के माध्यम से अमीरों पर कर लगा कर षि, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में निवेश में वृद्घि की जाए, देश एवं प्रदेश में कार्यरत सभी कामगारों के लिये सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवच बनाया जाए। बढ़ती महंगाई को देखते हुए न्यूनतम वेतन मूल्य सूचकांक के प्रावधानों के साथ 24 हजार रूपए प्रतिमाह भुगतान कया जाना सुनिश्चित किया जाए। उद्योगों में कार्यरत कामगारों को प्रतिमाह तीन हजार पेंशन। पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों में हो रही बेहताशा बढौत्तरी को देखते हुये पैट्रोलियम उत्पादों पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कटौती कर मूल्य वृद्घि को रोकने के ठोस कदम उठाये जाएं। स्थायी प्रति के कार्यों पर ठेका मजदूरों का नियोजन पूर्णतया प्रतिबन्धित किया जाए। ठेका कर्मियो, योजना कर्मियों का नियमितीकरण कर समान काम का समान वेतन एवं अन्य सुविधायें समान रूप से दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। नई पेन्शन स्कीम (एऩपी़एस़) को रद्द कर पुरानी पेन्शन लागू की जाए। बढ़ती बेरोजगारी पर रोक लगाने के लिए रोजगार के अवसर बढ़घए जाएं। केन्द्र एवं राज्य सरकारों के कार्यालयों में कर्मचारियों की भर्ती पर लगी रोक को हटाए जाए तथा समाप्त किये गये पदों को पुर्नजीवित किया जाय। बैक, बीमा, रक्षा, बिजली, पोस्टल, रेलवे सहित केन्द्रीय एवं राज्य के सार्वजनिक उद्यमो का नीजिकरण, निगमीकरण किये जाने पर पूर्णतया रोक लगायी जाए। बढ़ती मंहगाई को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाया जाए तथा वस्तु बाजार में सट्टेबाजी के व्यापार पर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगाया जाय। केन्द्रीय व राज्य सरकारों के कार्यालयों में रिक्त पदो पर नियमित भर्ती की जाय तथा उपनल सहित अन्य संविदा कर्मियों को पदों के सापेक्ष समायोजित कर नियमित किया जाए। डी़आऱडी़ओ़ में गोको मडल के नाम पर निजीकरण पर रोक लगाई जाए। आयुद्घ निर्माण शाखाओं में कामगारों के अधिकारों के हनन पर रोक लगायी जाए।

 

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