लाटू देवता मंदिर के कपाट पूजा-अर्चना के बाद छह माह के लिए बंद
चमोली। उत्तराखंड के वांण गांव में लाटू वाण के कपाट पूजा-अर्चना के बाद छह माह के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब कपाट बैसाख की पूर्णिमा को खुलेंगे। कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर समिति ने भगवान लाटू का प्रसाद घरों में पहुंचाया। सोमवार को मंदिर के पुजारी खीम सिंह ने 11 बजे आंख पर पट्टी बांधकर मंदिर के अंदर प्रवेश किया और पूजा के बाद मंदिर के मुख्य गर्भगृह के कपाट बंद किए। मंदिर के कपाट बंद होते ही पूरा क्षेत्र लाटू के जयकारों से गूंज उठा। इस मौके पर विधायक मुन्नी देवी शाह, हुकम सिंह, कृष्णा बिष्ट, हीरा पहाड़ी, चंद्र सिंह, भरत सिंह, दलबीर दानू, नंदी कुनियाल, केडी मिश्रा, उमेश मिश्रा, नरेंद्र बिष्ट, पुष्कर बिष्ट, हीरा सिंह, पान सिंह, दिलबर सिंह, नंदन कुनियाल, गबर सिंह आदि मौजूद थे।
यह है मान्यता- पौराणिक कथाओं के अनुसार लाटू कनौज के गौड़ ब्रह्मण थे। वे मां नंदा के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत यात्रा पर चले गए। जब वे वाण गांव पहुंच तो उन्हें प्यास लग गई। पानी पीने वे एक घर में पहुंचे, तो उन्होंने महिला से पीने का पानी मांगा।महिला ने कहा कि उस कमरे में तीन घड़े है, उनमें से एक घड़े में पानी है पी लीजिए। लाटू ने गलती से पानी के जगह मदिरा पी लिया, जिससे क्रोधित लाटू ने अपनी जीभ काट डाली। लाटू की दशा को देखकर उन्हें मां नंदा ने दर्शन दिए। तभी से यहां पर लाटू की पूजा की जाती है।
मंदिर का रहस्य- लाटू देवता मंदिर में प्रवेश करते समय पुजारी आंख पर पट्टी बांधता है। मंदिर के पुजारी खीम सिंह, हीरा पहाड़ी ने बताया कि मंदिर के अंदर पुजारी के अलावा कोई प्रवेश नहीं करता है। कहा जाता है कि मंदिर में नागमणि विराजमान है। मणि को देखने पर आंखों की रोशनी जा सकती है।