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चुनावी मुद्दा : विकास के दावे कर रहे नेता, राष्ट्रीय राजमार्ग तक की नहीं ली गई सुध

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कोटद्वार-सतपुली के मध्य आज भी बदहाल स्थिति में पड़ा है राष्ट्रीय राजमार्ग
बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर समय बना रहता है दुर्घटनाओं का खतरा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : लोकसभा चुनावी दंगल में नेता बड़े-बड़े विकास के दावे कर रहे हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि नेताओं ने मैदान से पहाड़ को जोड़ने वाले कोटद्वार-सतपुली राष्ट्रीय राजमार्ग तक की सुध नहीं ली। नतीजा वर्षाकाल से बदहाल पड़े राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवाजाही के दौरान यात्रियों की सांसें अटकी रहती हैं। बदहाल मार्ग पर कब दुर्घटना हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। जबकि, सत्ता व विपक्ष के नेता स्वयं भी इसी मार्ग से आवाजाही करते रहते हैं। ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाल स्थिति भी एक चुनावी मुद्दा बना हुआ है।
मालूम हो कि 13 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से राष्ट्रीय राजमार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया था। पहाड़ी से भारी मलबा आने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए कई दिन तक पूरी तरह बंद भी रहा। राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने मलबे व बोल्डर को हटाकर कड़ी मशक्कत के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवाजाही को शुरू करवाया था। ऐसे में होना तो यह चाहिए था कि वर्षा थमते ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर व्यवस्थाओं को बेहतर बनाया जाता। लेकिन, वर्षाकाल को नौ माह बीत जाने के बाद भी अब तक राष्ट्रीय राजमार्ग की सुध नहीं ली गई। नतीजा कोटद्वार से सतपुली तक सफर के दौरान कब बड़ा हादसा हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। जबकि, सत्ता व विपक्ष के नेता हर रोज इसी मार्ग से आवाजाही करते हैं। बावजूद इसके चुनाव में जनता के हितों की बात कहने वाले नेताओं ने भी राष्ट्रीय राजमार्ग की सुध नहीं ली।

केदार घाटी में आपदा के दौरान बना था विकल्प
वर्ष 2013 में केदार घाटी में आई आपदा के दौरान देवभूमि में फंसे यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बुआखाल-नजीबाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग की अहम भूमिका रही। सरकारी सिस्टम को चाहिए था कि राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति को और बेहतर बनाया जाए। लेकिन, सिस्टम की लापरवाही के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। कोटद्वार से सतपुली तक 55 किलोमीटर के सफर बीस से अधिक डेंजर जोन बने हुए हैं।

कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य एक दर्जन डेंजर जोन
राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य सबसे भयावह बनी हुई है। हालत यह है कि 15 किलोमीटर के सफर में एक दर्जन से अधिक डेंजर जोन बना हुआ है। सिद्धबली से कुछ दूर लालपुल से पहले सड़क के पुश्ते का कार्य अब तक नहीं किया गया है। यहीं नहीं जगह-जगह बने गड्ढे दोपहिया वाहन चालकों की कमर तोड़ रहे हैं। कोटद्वर से सात किलोमीटर दूर बरसाती रपटे पर भी खतरा बना हुआ है। कुछ दूर सड़क का आधा हिस्सा खोह नदी में समाया हुआ है। पूरे सफर में यात्रियों की सांसें अटकी रहती हैं।

धूल के कारण यात्री परेशान
वर्षा काल में बदहाल हुए राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत नहीं होने से वाहनों की आवाजाही के कारण धूल की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी दोपहिया वाहन चालकों को हो रही है। कई स्थानों पर धूल इतनी भयंकर होती है कि आगे कुछ भी नहीं दिखाई देता। जिससे दुर्घटनाओं का अधिक खतरा बना रहता है। गर्मी बढ़ने के साथ ही स्थिति और अधिक विकराल होती जा रही है। यही नहीं कई स्थानों पर पुश्ते ढहने के कारण वाहनों को निकलने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल पाता। जिससे पूरे दिन जाम की स्थिति बनी रहती है।

नहीं ली सुध तो होगी मुश्किल
राष्ट्रीय रजमार्ग कोटद्वार से गढ़वाल को जोड़ने वाला विकल्प है। हालांकि कोटद्वार से पुलिंडा होते हुए भी एक मार्ग दुगड्डा पहुंचता है। लेकिन, इसकी स्थिति राष्ट्रीय राजमार्ग से भी खतरना बनी हुई है। वर्षाकाल में राष्ट्रीय रजामार्ग बंद होने के कारण पहाड़ों में आवश्यक सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो गया था। ऐसे में अब कुछ माह बाद शुरू होने वाली वर्षा दोबारा मुश्किलें बढ़ा सकती है। कोटद्वार व गढ़वाल क्षेत्र के लोग लगातार मार्ग की स्थिति सुधारने की भी मांग उठा रहे हैं।

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