कोटद्वार-पौड़ी

पुल निर्माण में लेट लतीफी, जोखिम में जान

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पिछले तीन वर्षों से अधर में लटका है लंगूरगाड नदी का पुल
नदी उफान पर आने से बीच नदी में फंसी ग्रामीणों से भरी मैक्स
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दुगड्डा ब्लॉक के अंतर्गत लंगूरगाड नदी पर कछुआ चाल से हो रहा पुल निर्माण कार्य ग्रामीणों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। तीन वर्षों से नदी पर पुल खड़ा नहीं होने से आज भी ग्रामीणों को गांव के मार्ग तक पहुंचने के लिए नदी पार करनी पड़ रही है। मंगलवार दोपहर दुगड्डा से गांव के लिए जा रही ग्रामीणों से भरी एक मैक्स बीच नदी में फंस गई।
जुवा, भैड़गांव सहित अन्य गांव को जोड़ने वाले मार्ग से पहले पड़ने वाली लंगूरगाड नदी पर पुल निर्माण के लिए ग्रामीण वर्षों से आंदोलन कर रहे थे। इसके लिए बकायदा ग्रामीणों ने भूख हड़ताल के साथ ही दुगड्डा में जाम लगाया था। लगातार चल रहे आंदोलन के बाद शासन ने वर्ष 2021 में जुवा, भैडगांव को जोड़ने वाली इस नदी पर पुल को स्वीकृति दी। 30 मीटर स्पान पुल के लिए 203.85 लाख की प्रशासकीय और वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई। लेकिन, वर्तमान में जिस तरीके से पुल निर्माण हो रहा है उसने ग्रामीणों को एक बार फिर आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया है। पिछले तीन वर्षाें में पुल का पचास प्रतिशत कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में अब भी ग्रामीणों को उफान पर बनी नदी पार करनी पड़ रही है। जुआ गांव निवासी राजेंद्र सिंह ने बताया कि बरसात के दौरान लंगूरगाड नदी लगातार उफान पर बनी हुई है। ऐसे में अब तक पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है। पुल निर्माण कछुआ चाल से किया जा रहा है। मंगलवार को ग्रामीणों को लेकर कोटद्वार से आ रही एक मैक्स नदी के बीच फंस गई। उफान पर बह रही नदी के बीच मैक्स के भीतर फंसे ग्रामीणों की सांसे अटक गई। सूचना के बाद गांव के युवा नदी में पहुंचे और मैक्स को बाहर निकालने का प्रयास किया। करीब एक घंटे तक अभियान चलाने के बाद मैक्स व यात्रियों को सुरक्षित नदी से बाहर निकाला गया। कहा कि यदि पुल निर्माण में तेजी नहीं लाई गई तो ग्रामीण आंदोलन को मजबूर होंगे।

गांव से निकलना भी मुश्किल
बरसात के समय उफान पर आ रही नदी को पार करना भी ग्रामीणों के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में ग्रामीण गांव में ही फंसकर रह जाते हैं। सबसे अधिक परेशानी गांव से बाहर नौकरी करने के लिए जाने वाले युवाओं व व्यक्तियों को होती है। बरसात के दौरान गांव के बीमार लोगों को अस्तपाल तक पहुंचाना भी एक चुनौती बन जाती है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से जल्द पुल निर्माण करवाने की मांग की है।

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