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महाराष्ट्र विधानसभा में आज बहुमत परीक्षण

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नई दिल्ली मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में कल बहुमत परीक्षण होगा। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम अदालत ने हालांकि शिवसेना व्हिप चीफ सुनील प्रभु की याचिका पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के फैसले को सही कहा और 30 जून को बहुमत परीक्षण की इजाजत दे दी है। इससे पहले फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता। इसके साथ ही सीएम उद्घव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इससे पहले सीएम उद्घव ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से ढाई साल तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद कहा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फ्लोर टेस्ट से पहले वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी राय है कि इन मसलों का सही समाधान विधानसभा का सदन ही हो सकता है। अदालत ने बोम्मई केस का हवाला देते हुए कहा कि बहुमत का फैसला तो सदन में ही हो सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद एनसीपी नेताओं नवाब मलिक और अनिल देशमुख को कल महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर पर ही सवाल है तो फिर वह कैसे सदस्यों की योग्यता पर फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो फिर हर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिल सकता है। कौल ने कहा कि राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। विधायकों की अयोग्यता का मामला अलग है और फ्लोर टेस्ट कराने का मसला अलग है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि आपके पास संख्या है तो फ्लोर टेस्ट में आप जीत हासिल कर लेंगे। कौल ने कहा कि अल्पमत की सरकार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। यदि उसके पास बहुमत है तो साबित करना ही चाहिए।
शिवसेना का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट से पहले तो विधायकों की अयोग्यता को लेकर फैसला होना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला तो हम करेंगे कि जिन विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया गया है, वह वैध है या फिर नहीं।
शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यपाल से कल शाम को ही देवेंद्र फडणवीस ने मुलाकात की थी और आज हमें नोटिस भेज दिया गया। यह आदेश ऐसे समय में दिया गया है, जब एनसीपी के दो सदस्य कोरोना संक्रमित हैं और कांग्रेस का एक विधायक देश से ही बाहर हैं। ऐसे में कल फ्लोर टेस्ट कैसे हो सकता है।सिंघवी ने इस दौरान शिवराज और हरीश रावत केस का भी हवाला दिया।
इसके अलावा अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पहले तो विधानसभा स्पीकर को लेकर ही फैसला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्पीकर पर फैसले के बाद संख्या में बड़ा बदलाव होगा। उन्होंने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने कुछ ज्यादा ही तेजी से काम किया है। यही नहीं गवर्नर के आदेश की प्रक्रिया पर भी सिंघवी ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इस मसले पर कैबिनेट की सलाह ही नहीं ली। उन्होंने सिर्फ नेता विपक्ष की मांग के आधार पर ही यह फैसला ले लिया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में संविधान की 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाया जा रहा है। शिवसेना के अधिवक्ता ने कहा कि यदि कल फ्लोर टेस्ट नहीं होगा तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। उन्होंने कहा, श्दल-बदलने वाले विधायक जनमत का प्रतिनिधित्व नहीं करते। क्या गवर्नर कोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते कि कल फ्लोर टेस्ट न कराएं। यदि कल बहुमत परीक्षण नहीं होता है तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा।श् सिंघवी ने दो शर्तें रखते हुए कहा कि या तो पहले विधायकों की अयोग्यता पर फैसला हो जाए या फिर फ्लोर टेस्ट को ही टाल दिया जाए।

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