कोटद्वार-पौड़ी

मतदान तक सिमटा मलाणा गांव, सड़क व स्वास्थ्य सुविधा को तरसे ग्रामीण

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राज्य गठन के दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है मलाणा गांव
सड़क व स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में पलायन को मजबूर ग्रामीण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : इसे दुर्भाग्य कहें या शासन-प्रशासन की लापरवाही, जो आज भी जहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत मलाणा गांव के ग्रामीण स्वास्थ्य व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। आधुनिकता के इस युग में आज भी ग्रामीण मरीज को पालकी के सहारे मुख्य मार्ग तक लेकर आते हैं। ग्रामीण नेताओं के लिए केवल वोटर तक ही सिमटकर रह गए। गांव के लिए स्वीकृत 3.5 किलोमीटर की सड़क भी सरकारी दफ्तरों में अटकी हुई है। जबकि, पूर्व में सड़क का शिलान्यस स्वयं लोक निर्माण मंत्री ने किया था। सुविधाओं के अभाव में गांव से लगातार पलायन का दौर जारी है।
शासन ने 20 मई 2021 को 3.5 किलोमीटर लंबे घेरुवा से गुजरखंड मालाणा मोटर मार्ग को प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्रदान करते हुए प्रथम चरण के कार्यो के लिए 21.43 लाख की धनराशि स्वीकृत कर दी। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद लोक निर्माण मंत्री ने सड़क का शिलान्यास कर दिया। सड़क शिलान्यास हुए एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन, आज तक निर्माण कार्य धरातल पर नहीं उतरा। सड़क निर्माण के लिए भूमि हस्तांतरण की फाइल सरकारी दफ्तरों में कछुआ चाल से गुजर रही है। नतीजा आज भी ग्रामीणों को मुख्य मार्ग घेरुवा से गांव तक पहुंचने के लिए चार किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

वर्तमान में हमारे गांव में 27 मतदाता हैं। हम हर चुनाव में अपने मत का प्रयोग करते हैं। लेकिन, लगता है मानों हम केवल मतदाता ही बनकर रह गए हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा व सड़क सुविधा के अभाव में पलायन को मजबूर हो रहे हैं। जबकि, ग्रामीण कई बार शासन-प्रशासन को अपनी समस्याओं से भी अवगत करवा चुके हैं।….दिगंबर जुयाल, ग्रामीण

देश में भले ही आज आधुनिकता की बात हो रही हो। लेकिन, ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। स्थिति यह है कि गांव का नजदीकी प्राथमिक विद्यालय भी चार किलोमीटर की पैदल दूरी पर घेरुवा में है। स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो ग्रामीणों को दस किलोमीटर दूर दुधारखाल की दौड़ लगानी पड़ती है।…राहुल जुयाल, ग्रामीण

यह गांव का दुर्भाग्य ही रहा है कि चुनाव जीतने के बाद आज तक कोई भी नेता हमारे गांव हमारी समस्या सुनने तक नहीं पहुंचा। गांव में कोई बीमार होता है तो उसे चार किलोमीटर दूर पालकी के सहारे मुख्य मार्ग तक लेकर जाना पड़ता है। समय से उपचार नहीं मिलने के कारण पूर्व में कई ग्रामीण दम भी तोड़ चुके हैं। सरकार को ग्रामीणों की समस्या को लेकर गंभीरता से कार्य करना चाहिए।..हरीश चंद्र जुयाल, ग्रामीण

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