उत्तराखंड

सूर्य ग्रहण पर धर्मनगरी में बंद रहे मठ मंदिरों के कपाट

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हरिद्वार। साल के अंतिम सूर्य ग्रहण पर ग्रहण काल के दौरान धर्मनगरी हरिद्वार में सभी मठ मंदिरों के कपाट बंद रहे। ग्रहण के मोक्षकाल के बाद मंदिरों को खोला गया और देव प्रतिमाओं को गंगा जल से स्नान कराकर आरती पूजा की गयी। हरिद्वार में सूर्य ग्रहण सांय 4 बजकर 28 मिनट से 6 बजकर 27 मिनट तक रहा। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार 12 घंटे पूर्व से ग्रहण का सूतक लग जाता है। इसलिए हरकी पैड़ी स्थित मुख्य गंगा मंदिर सहित सभी मठ मंदिरों के कपाट ब्रह्म मुर्हत में ही बंद कर दिए गए। सांय साढ़े बजे ग्रहण समाप्त होने पर मंदिरों को खोला गया और देव प्रतिमाओं को गंगा जल से स्नान कराने के उपरांत आरती पूजन आदि किया गया। हरकी पैड़ी पर प्रतिदिन शाम छह बजे होने वाली सांयकालीन गंगा आरती भी ग्रहण समाप्त होने के बाद की गयी। ग्रहण काल के दौरान हरकी पैड़ी सहित तमाम गंगा तटों पर साधु संतों और श्रद्घालुओं ने मंत्र जाप और भजन कीर्तन करते रहे। हरकी पैड़ी पर संतों और श्रद्घालुओं के साथ एक बंदर भी भजन कीर्तन में शामिल रहा। घरों में भी श्रद्घालुओं ने विभिन्न धर्म ग्रंथों का पाठ किया। ज्योतिषाचार्य प्रदीप जोशी ने बताया कि 25 वर्षो बाद दीवाली के अवसर पर सूर्य ग्रहण हुआ है। सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भजन कीर्तन, मंत्र जाप करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के पश्चात गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए।

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