महबूबा मुफ्ती ने ‘इंडिया’ गठबंधन को दिया झटका
श्रीनगर, एजेंसी। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (ढऊढ) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में इंडिया समूह को करारा झटका देते हुए बुधवार को घोषणा की कि पार्टी घाटी में सभी तीन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने पीडीपी के लिए उम्मीदवार उतारने और चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। उन्होंने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड उम्मीदवारों पर अंतिम फैसला करेगा और आने वाले दिनों में नामों की घोषणा करेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री की यह घोषणा नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की ओर से पीडीपी को घाटी की तीन सीटों पर उनके खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करने से परहेज करने का सुझाव देने के एक दिन बाद आयी है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद एकजुट रहना समय की मांग है, लेकिन नेकां नेतृत्व का रवैया निराशाजनक था, जिसने पार्टी को कश्मीर से सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा, “उमर साहब ने हाल ही में कहा था कि पीडीपी का कोई अस्तित्व नहीं है और महबूबा (2019 के चुनावों में) चौथे नंबर पर आयी थीं। उसके बाद क्या हुआ कि कठिन समय में मेरे साथ रहे मेरे कार्यकर्ताओं ने अपमानित और निराश महसूस कियाङ्घ पीडीपी ने 28 सीटें जीतीं और नेकां को कुछ वर्षों के दौरान दो बार सत्ता से बाहर रखा और अब वे (नेकां) कह रहे हैं कि पीडीपी का कोई अस्तित्व नहीं है।”
उन्होंने कहा, “उमर साहब की भाषा सख्त थी और जिससे मेरे कार्यकर्ताओं को ठेस पहुंची है। मैं किस मुंह से अपने कार्यकर्ताओं के पास जाऊंगी और कहूंगी कि उमर साहब कहते हैं कि पीडीपी को उम्मीदवार खड़ा करने से बचना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए। क्या यह इतना आसान है? उन्होंने (नेकां ने) उम्मीदवारों को मैदान में उतारने और चुनाव लड़ने के अलावा हमारे लिए कोई दरवाजा खुला नहीं छोड़ा है।”
सुश्री मुफ्ती ने कहा कि उनकी पार्टी ने नेकां के लिए सभी सीटें छोड़ दी होती, लेकिन दुर्भाग्य से पीडीपी से कभी सलाह नहीं ली गई। उन्होंने कहा, “मुंबई में इंडिया समूह की बैठक के दौरान, मैंने फारूक (साहब) अब्दुल्ला, जो हमारे सबसे वरिष्ठ नेता हैं, से कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर के बारे में निर्णय लेना होगा। मैंने सोचा था कि जब कोई न्यायाधीश बनता है, तो वह दलगत राजनीति से ऊपर उठेगा।”
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह श्री उमर अब्दुल्ला ने कल बात की, नेकां नेता यह बात दो महीने पहले भी कह सकते थे। उन्होंने कहा, “फारूक साहब मुझे फोन कर सकते थे या मुझे आमंत्रित कर कह सकते थे कि आपने मुझे निर्णय लेने की जिम्मेदारी दी है और मैंने कुछ कारणों से यह निर्णय लिया है कि हमारे प्रतिनिधि बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं या हमारी पार्टी के कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर रहे हैं और इसीलिए हमने यह निर्णय लेने का फैसला किया है और यह व्यापक हित में होना चाहिए.. जब यह आसान था तो उन्होंने ऐसा नहीं किया। और जब आप किसी को परिवार का मुखिया या न्यायाधीश बनाते हैं, तो यह न्यायाधीश ही होता है जिसे न्याय सुनिश्चित करना चाहिए और पार्टी स्तर से ऊपर उठना चाहिए।”
उमर अब्दुल्ला ने सुश्री मुफ्ती के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर पीडीपी घाटी की तीन सीटों से चुनाव लड़ रही है तो शायद वह विधानसभा चुनाव के दौरान भी किसी तरह का गठबंधन नहीं चाहती है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “अगर वह जम्मू-कश्मीर की सभी पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा करती हैं, तो यह उनकी पसंद है। मैं उन्हें कैसे रोक सकता हूं।”
नेकां उपाध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने सुश्री मुफ्ती के फॉर्मूले के आधार पर कश्मीर में तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जो जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों के दौरान किया गया था। उन्होंने कहा, “डीडीसी चुनावों के लिए, हमने उन्हें (पीडीपी) सुझाव दिया कि उम्मीदवारों की घोषणा 2019 के संसदीय चुनावों के आधार पर की जाये और उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। पीडीपी ने कहा कि उम्मीदवारों की घोषणा 2014 विधानसभा चुनाव नतीजों के आधार पर की जायेगी और यह निर्णय लिया गया कि जो भी पार्टी जीती थी, वह डीडीसी चुनाव लड़ेगी। संसदीय चुनावों के दौरान भी यही फॉर्मूला अपनाया गया था।”
श्री अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने पीडीपी से कहा था कि उनकी पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन का विकल्प खुला रखा है क्योंकि घाटी की तीन संसदीय सीटों पर कुछ खास नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर महबूबा जी ने पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, तो शायद वह विधानसभा चुनाव के लिए भी किसी तरह का गठबंधन नहीं चाहती हैं। हमने दरवाजा खुला रखा था, अब अगर उन्होंने दरवाजा बंद किया है, तो इसमें हमारी कोई गलती नहीं है।”