उत्तराखंड

सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर किया सीएम को ज्ञापन प्रेषित

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नई टिहरी। उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस से पूर्व विभिन्न संगठनों ने जुड़े लोगों और बुद्घिजीवियों ने लोकतंत्र बचाओ, उत्तराखंड बचाओ का नारा लगाते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। इस बावत बालगंगा सेवानिवृत्त एवं वरिष्ठ नागरिक समिति ने तहसील प्रशासन के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भी प्रेषित किया। सोमवार को चमियाला में बालगंगा सेवानिवृत्त एवं वरिष्ठ नागरिक समिति ने सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर बैठक की। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि राज्य बनने के 22 साल होने के बाद जिन सपनों के लिए उत्तराखंड की जनता ने लड़ा था, और जिन विचारों के लिए कई युवा शहीद हुए, वह सपने अभी कहीं नहीं दिख रहे हैं। अर्थ व्यवस्था को लेकर सरकार बड़ी कंपनियों के हित में ही नीतियां बना रही है, और जल जंगल जमीन पर लोगों के हकों को खत्म कर दिया गया है। कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार स्वतंत्र पुलिस शिकायत आयोग बनाया जाए। साथ ही लोकायुक्त को सक्रिय किया जाये। प्रदेश भर में जल जंगल जमीन पर लोगों के हक हकूकों को स्थापित करने के लिए 2018 के भू कानून संशोधन को रद्द किया जाये। वन अधिकार कानून के तहत हर गांव को अधिकार पत्र दिया जाये। भू सुधार को पूरा किया जाये और जमीन पर महिलाओं, ग्राम सभा भूमि पर बसे छोटे किसानों और दलितों का मालिकाना हक को सुनिश्चित किए जाने, जंगली जानवरों के हमलों को ले कर योजना बनाई जाए। बैठक में वक्ताओं ने जन कल्याणकारी योजनाओं में हो रही देरी और भ्रष्टाचार पर रोक लगाकर, तीस दिनों में कार्रवाई सुनिश्चित करने का प्रावधान लाने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में समिति उपाध्यक्ष भरत सिंह नेगी, सचिव उमेश सिंह चौहान, पूर्व जिपंस आनंद प्रसाद व्यास, चेतना आंदोलन के विनोद बडोनी, देवेंद्र प्रसाद जोशी, राज्य आंदोलनकारी लोकेंद्र दत्त जोशी आदि मौजूद रहे।

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