कोटद्वार-पौड़ी

जंगल में फैली आग व भूकंप से निपटने को मॉक ड्रिल

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-जनपद में किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए जांची व्यवस्थाएं
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दोपहर 12:15 बजे जनपद आपदा कंट्रोल को सूचना प्राप्त हुई कि कंडोलिया से सटे जंगल में आग लग गयी है और आग की तीव्रता बढ़ती ही जा रही है। जिससे वन संपदा को तो नुकसान की संभावना है ही साथ ही वनाग्नि का आसपास की बसावट में फैलने का भी खतरा बढ़ गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी समेत जनपद के सभी उच्चाधिकारी व आपदा प्रबंधन टीम सक्रिय हो गई और राहत एवं बचान कार्य के लिए घटना स्थल की ओर निकल गई। टीम ने बेहतरीन कार्य करते हुए आग पर काबू पाया और घायल लोगों को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया। यह मॉक ड्रिल जनपद में आपदा से निटपने को व्यवस्था जांचने के लिए किया गया।
रविवार को हुए मॉक ड्रिल के तहत जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे व जनपद आईआरएस कमांडर ने भी 12:25 बजे जनपद कंट्रोल रूम पहुंचकर तत्काल जनपद आईआरएस को सक्रिय करते हुए घटनास्थल के बारे में स्पष्ट तथा प्राथमिक सूचना प्राप्ति के निर्देश दिये। साथ ही एसडीआरएफ, वन विभाग, पुलिस विभाग, पीआरडी, राजस्व विभाग आदि विभागों को मौके पर जाकर वनाग्नि रोकथाम तथा वनाग्नि की वजह से झोपड़ी में लगी आग से प्रभावित लोगों को सुरक्षित करने के निर्देश दिये। इसी बीच डीएफओ पौड़ी मुकेश कुमार ने वन विभाग के कार्मिकों को मय वनाग्नि शमन उपकरणों सहित वनाग्नि स्थल पर भेजा। पुलिस विभाग की अग्निशमन गाड़ियां, चिकित्सा विभाग की मेडिकल टीम, लोक निर्माण विभाग आदि के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। अपर जिलाधिकारी ईला गिरी द्वारा स्टेजिंग एरिया से आग पर काबू पाने के लिए तथा वन्यजीव, जनधन की सुरक्षा हेतु संसााधनों की आवश्यकता अनुरूप बनाते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों और कमांडरों को संसाधन मुहैया करवाये और जिलाधिकारी को नियमित रूप से इस संबंध में अवगत कराते रहे।
इसी बीच 12:55 बजे जनपद में भूंकम के झटके महसूस किये गये, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 06 से उपर बताई गई। वहीं, जनपद कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि जीआईसी पौड़ी के स्कूल का एक भवन क्षतिग्रस्त हो गया है, जिसमें कुछ स्कूली बच्चे फंस गए हैं। सूचना प्राप्ति के तत्काल बाद जिला सूचना अधिकारी, सेफ्टी ऑफिसर, लाइजन ऑफिसर जिलाधिकारी के साथ सक्रिय होते हुए ऑपरेशन सैक्शन, प्लानिंग सैक्शन और लाइजनिंग सेक्शन के अधिकारी भी सक्रिय होकर अपने-अपने दायित्व संपादन में लग गये। घटना स्थल जीआईसी में एसडीआरएफ, पीआरडी, होमगार्ड, नगर निकाय, शिक्षा विभाग, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और कर्मियों ने मौके पर जाकर पहले गोल्डन कवर में अधिकाधिक बच्चों के जीवन बचाने और उसको प्राथमिक सहायता देने में लगे। चिकित्सा विभाग की मेडिकल टीम मय एम्बुलेंस घटनास्थल पर घायलों के उपचार में जुट गयी और अधिक गंभीर लोगों को हायर सेंटर रेफर किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि इस मॉक ड्रिल से हमने यह जांचा कि जनपद में किस तेजी से और किस स्तर के राहत एवं बचाव कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। साथ ही हमारा जनपदीय आईआरएस सिस्टम कितना एक्टिव है और किस तरह का रेस्पांस देने में सक्षम है।
जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ बीबी गणनायक द्वारा जनपद के कलेक्ट्रेट सभागार में आपदा प्रबंधन के संबंध में आईआरएस से जुड़े सभी अधिकारियों-कार्मिकों और विभागों को आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षण के दौरान आपदा प्रबंधन की बारीकियां बताई गई। मॉक ड्रिल के दौरान क्या कमियां रहीं और क्या कमियां रहने की संभावना रहती है, विभागों और अधिकारियों का सूचना आदान-प्रदान से लेकर संसाधनों को लक्षित तरीके से पहुंचाने को किस तरह से बेहतर से बेहतर किया जा सकता है के बारे में अवगत कराया। डीएफओ वन विभाग मुकेश कुमार ने वनाग्नि नियंत्रण/प्रबंधन के संबंध में वन विभाग द्वारा मॉक ड्रिल में किये गये कार्यों के साथ ही वर्तमान समय में वनों में लगने वाली आग की रोकथाम के प्रयासों तथा राजस्व विभाग, पुलिस विभाग तथा स्थानीय निकायों, पंचायतों के साथ समन्वय सहयोग प्राप्त करते हुए किस प्रकार से वनाग्नि की रोकथाम के प्रयास किये जा रहे हैं, इस बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से अति प्रभावित जिलों में 799 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं, जिसमें जनपद पौड़ी में 86 घटनाएं हैं।

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