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मोदी ने बुलंद की आत्मनिर्भर बिहार की आवाज, नीतीश के काम को सराहा

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पटना , एजेंसी। निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा अभी नहीं की है, लेकिन सभी दल इसकी तैयारियों में जुट गए हैं। गत विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी भारतीय जनता पाटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहारे है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस बार भी बीते चुनाव की तरह ही रैलियां करेंगे। इनमें छह तो चुनाव की घोषणा से पहले संपन्घ्न होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुवार के 294 करोड़ रुपयों की योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कार्यक्रम को भी चुनावी सौगात माना जा रहा है। प्रधानमंत्री ने गुरुवार को बिहार में मत्स्यपालन, पशुपालन व कृषि विभागों से जुड़ी योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर बिहार के लिए आवाज बुलंद की।
बिहार के लोगों को संबोधित करने की बारी आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंदाज खांटी भोजपुरी हो गया। कहा कि रउआ सभे के प्रणाम बा, देसवा खातिर, गांव और व्यवस्था मजबूत करे खातिर, मछली पालन करे खातिर। सैकड़ों करोड़ रुपये की योजना शुभारंभ भईल ह। हमार गांव 21वीं सदी के भारत, आत्मनिर्भर बिहार की ताकत बने। ऊर्जा बने। श्वेत क्रांति यानी दूध उत्पादन, नीली क्रांति यानी मछली उत्पादन और मधु क्रांति खातिर प्रधानमंत्री संपदा योजना बनावल गइल बा। मेरी बात को लिख लीजिए कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र में भविष्य उज्ज्वल है। इसी के साथ उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले बिहार को सौगात देने का सिलसिला शुरू कर दिया।
गुरुवार को हुए वर्चुअल समारोह में प्रधानमंत्री ने बिहार सहित कुल 21 प्रदेशों को 17 सौ करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात दी। सभी योजनाएं पशुपालन, मत्स्य और डेयरी से संबंधित हैं। हालांकि, उनका फोकस बिहार पर रहा, जहां नवंबर में विधानसभा चुनाव संभावित है। बिहार में उन्घ्होंने पशुपालन, मत्स्य और डेयरी से संबंधित 294़53 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया।
कहा कि आजादी के बाद पहली बार इतनी बड़ी राशि का निवेश सरकार पशुपालन, मत्स्य और डेयरी क्षेत्र में कर रही है। देश में पहली बार अलग से मंत्रालय बनाया गया है। लक्ष्य यह भी है कि आने वाले तीन-चार वर्षों में मछली निर्यात को दोगुना किया जाए। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। गो-पालकों और मछली उत्पादकों से बात करने के बाद मुझे नई ऊर्जा मिली है। इससे पूर्व उन्होंने पटना, मधेपुरा, पूर्णिया, किशनंगज, सीतामढ़ी, समस्तीपुर और बेगूसराय जिले के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की। सौगातों का यह सिलसिला दिनों के अंतराल के साथ 23 सितंबर तक चलेगा।
बेहतर काम के लिए मुख्यमंत्री की सराहना
बिहार में विकास के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पीठ थपथपाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चार-पांच साल पहले तक सिर्फ दो फीसद घरों के लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलता था। वर्तमान में यह आंकड़ा 70 फीसद हो गया है। बिहार के 60 लाख घरों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। गंगा डल्फिन योजना से नीतीश बाबूजी ज्यादा उत्साहित हैं। इससे गंगा स्वच्छता अभियान को बल मिलेगा।
ग्रामीणों के परिश्रम की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना कल में जब सारे काम बंद थे, तब भी गांवों से मंडियों तक दूध-दही, सब्जी-फल, अनाज आदि की आपूर्ति होती रही। बिहार के 75 लाख किसान पशुपालन, मत्स्य और डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हैं। उनके बैंक खाते में छह हजार करोड़ रुपये जमा हुए हैं। ऐसे ही अनेक प्रयासों के कारण गांवों पर वैश्विक महामारी का असर नहीं पड़ा। कोरोना के साथ बाढ़ की विभीषिका का भी सामना करने में हम सफल हुए हैं। बिहार के हर जरूरतमंद तक लाभ पहुंचाने के लिए मुफ्त राशन योजना को बढ़ा दिया गया है। बिहार अब उत्तम देसी नस्लों के पशुओं के विकास का केंद्र बन रहा है। डेयरी क्षेत्र में बिहार की स्थिति मजबूत होने वाली है। पूर्णिया में बना सेंटर देश के एक प्रमुख सेंटर है। पूर्वी भारत को इसका सर्वाधिक लाभ मिलेगा। देसी पशुओं के संरक्षण को और बढ़ाया मिलेगा।
जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान से बड़े बदलाव तय
आइवीएफ की मदद से एक गाय से कई नस्ल तैयार हो रहे। ई-गोपाला एप एक ऐसा अनलाइन डिजिटल माध्यम होगा, जिससे पशुपालकों को उन्नत पशु को चुनने में आसानी होगी। इस एप से किसान पता कर सकेंगे उनके पशु के लिए कहां सस्ता इलाज उपलब्ध होगा। पशु आधार नंबर डालने से उस पशु से संबंधित तमाम जानकारी मिल जाएगी। बिहार षि, पशुपालन और मत्स्य पालन से जुड़ी पढ़ाई का अहम केंद्र रहा है। बहुत कम लोगों को पता है कि असली पूसा दिल्ली में नहीं, बल्कि बिहार के समस्तीपुर जिले में है। जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान की ताकत से देश के ग्रामीण जीवन में बड़े बदलाव तय हैं। लीची, आम, मखाना और मधुबनी पेंटिंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम लोकल के लिए जितना वोकल होंगे, बिहार उतना ही ज्यादा आत्मनिर्भर बनेगा। श्रीविधि धान की खेती, लीज पर जमीन लेकर सब्जी उगाने और सशक्त महिलाओं के बूते बिहार आत्मनिर्भर बन कर उभरेगा। ऐसे उत्साही किसानों के लिए केंद्र सरकार ने विशेष फंड सृजित किया है। आर्थिक मदद आसानी से मिल जाएगी। बहनों को भी आसानी सेाण मिलेगा। उन्होंने स्वयं सहायता समूह के काम की सराहना की।

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