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मोदी सरनेम विवाद: राहुल गांधी दोषी करार; दो साल की सजा के बाद तुरंत बेल मिली, कांग्रेस बोली- ऊपरी अदालत जाएंगे

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सूरत , एजेंसी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में आज सूरत की अदालत ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई। हालांकि, मामले में उन्हें तुरंत ही जमानत भी मिल गई।
सजा का एलान होने के बाद राहुल गांधी ने ट्विटर पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
कांग्रेस ने कहा कि राहुल गांधी गुजरात की अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के कई नेताओं ने इस मामले में नाराजगी जाहिर की। सूरत की अदालत के फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने सत्य और अहिंसा के बारे में हिंदी में एक ट्वीट में महात्मा गांधी को उद्धृत किया।
खड़गे ने ट्वीट किया, ”कायर, तानाशाही भाजपा सरकार राहुल गांधी और विपक्ष से नाराज है क्योंकि हम उनके कुकृत्यों को उजागर कर रहे हैं और जेपीसी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अपने राजनीतिक दिवालियापन के तहत मोदी सरकार पुलिस, ईडी भेजती है और राजनीतिक भाषणों पर मामले लगाती है। हम ऊपरी अदालत में अपील करेंगे।
दूसरी तरफ राहुल गांधी के खिलाफ इस मामले में मानहानि का केस दायर करने वाले पूर्णेश मोदी ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया है और यह एक अहम फैसला है।
दरअसल, राहुल पर मोदी उपनाम पर टिप्पणी करने के लिए आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज था। गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर, पार्टी विधायक दल के नेता अमित चावड़ा, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के गुजरात प्रभारी रघु शर्मा और विधायक सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आने के बाद से ही सूरत में मौजूद हैं।
क्या है मामला, जिसमें राहुल की पेशी होगी?
2019 लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इसी को लेकर भाजपा विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय का मान घटाया है। वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल ने 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में इस मामले से जुड़ी टिप्पणी की थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की अदालत ने पिछले शुक्रवार को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाने के लिए 23 मार्च की तारीख तय की। राहुल इस मामले की सुनवाई के दौरान तीन बार अदालत में पेश हुए। अक्तूबर 2021 में बयान दर्ज कराने के लिए अदालत पहुंचे राहुल ने खुद को निर्दोष बताया था।

क्या न्यायपालिका को भी अपनी जेब में रखना चाहती है कांग्रेस?
नई दिल्ली, एजेंसी। सूरत की एक अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि के मामले दो साल की सजा सुनाई। हालांकि, अदालत ने उन्हें तुरंत ही जमानत भी दे दी। राहुल पर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक रैली में मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगा था। इस मामल में गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया था। वहीं, अदालत के फैसले के बाद भाजपा की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने मानहानि के मामले में दो साल की सजा दी है। कांग्रेस पार्टी बहुत कुछ कह रही है, लेकिन यह नहीं बता रही है कि राहुल गांधी ने क्या कहा था? राहुल गांधी ने कर्नाटक में 2019 की चुनावी रैली में कहा था..सारे चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
उन्होंने कहा, अगर राहुल गांधी को अपनी जिद्द से लोगों को अपमानित करने का और अपशब्द कहने का अधिकार है तो उनके अपशब्दों से पीड़ित लोगों को मानहानि का केस करने का अधिकार है। उन्होंने आगे कहा, राहुल गांधी ने कहा कि मैं सत्य और अहिंसा में विश्वास रखता हूं। क्या सत्य और अहिंसा में भरोसा करना लोगों को अपमानित करना है? देश को जातिसूचक अपशब्द कहना है?
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत के कानून में यह है कि यदि किसी व्यक्ति या संगठन को अपमानजनक बयानों, निंदनीय टिप्पणियों, अपशब्दों या किसी भी अपमानजनक टिप्पणी से बदनाम किया गया है, तो उसे पता मांगने का अधिकार है। लेकिन, कांग्रेस पार्टी को इससे आपत्ति है, वह राहुल गांधी को अपशब्द कहने की पूरी आजादी चाहती है।
उन्होंने आगे कहा, खरगे ने कहा कि अदालत के फैसले को बार-बार बदला गया है। कांग्रेस पार्टी न्यायपालिका में भरोसा नहीं करती है। क्या ये न्यायपालिका को भी अपनी जेब में रखना चाहती है? राफेल मामले में भी राहुल गांधी ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाया था और फिर माफी मांगी थी। आलोचना का हम सम्मान करते हैं, लेकिन राहुल गांधी आलोचना नहीं करते हैं, राहुल गांधी देश को बदनाम करते हैं, जनतंत्र को बदनाम करते हैं और देश की जनता को बदनाम करते हैं।

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