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नहीं थम रहा कोरोना वायरस का आतंक, 68 और मरीज मिलने से 1153 हुए संक्रमित

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संवाददाता, देहरादून। राज्य में गुरुवार को कोरोना के 68 नए मरीज मिले। जिससे कुल मरीजों की संख्या 1153 हो गई है। गुरुवार को दून में सर्वाधिक 36, नैनीताल में 10, टिहरी में 10, पौड़ी में चार, बागेश्वर में दो, चम्पावत में तीन, अल्मोड़ा, यूएस नगर और उत्तरकाशी में एक मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई। जबकि अस्पतालों में इलाज कर रहे 15 मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि गुरुवार को लैब से कुल 770 सैंपल की रिपोर्ट आई जिसमें से 68 पॉजिटिव जबकि 702 सैंपल नेगेटिव पाए गए हैं।
गुरुवार को राज्यभर के अस्पतालों से सिर्फ 571 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। लैब में पेंडिग सैंपल की संख्या को देखते हुए कुछ दिन कम सैंपल भेजने की रणनीति बनाई गई है।
विभिन्न लैब में अभी तक 6920 सैंपलों को जांच का इंतजार है। राज्य का रिकवरी रेट 25 प्रतिशत के करीब पहुंच गया है। जबकि मरीजों के दो गुना होने की दर 10 दिन के आसपास चल रही है। जबकि मरीजों के लगातार पॉजिटिव आने की वजह से संक्रमण दर 4.19 प्रतिशत हो गई है। राज्य के 18 लाख लोगों ने खुद को अभी तक आरोग्य सेतु एप से जोड़ा है। प्रदेश में अब तक 10 लोगों ने कोरोना के आगे दम तोड़ दिया है लेकिन विभाग मौत का कारण अन्य बीमारी मान रहा है। बुलेटिन के अनुसार, प्रदेश के गढ़वाल व कुमाऊं जिले में कुल 845 एक्टिव केस हैं।

वायरस की जांच में हिमाचल और त्रिपुरा से भी पीछे उत्तराखंड
संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सैंपलिंग की रफ्तार नहीं बढ़ पा रही। लैब की संख्या सीमित होने और जिला अस्पतालों में जांच की सुविधा नहीं होने से सैंपलिंग के मामले में अन्य प्रदेशों के मुकाबले उत्तराखंड पिछड़ता जा रहा है।
कोरोना पर लगाम लगाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सैंपलिंग को सबसे कारकर हथियार माना जा रहा है। लेकिन उत्तराखंड इस मामले में काफी पीछे नजर आ रहा है। देश में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद उत्तराखंड में फरवरी के अंत से ही सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। जांच शुरू हुए तीन महीने से अधिक समय बीतने को है और इस दौरान महज 33,081 लोगों के सैंपल ही जांच को भेजे जा सके हैं।
पड़ोसी राज्य हिमाचल में अब तक 40,000 से अधिक सैंपलों की जांच हो चुकी है। पिछले 10 दिन में हुई सैंपलिंग को पैमाना बनाया जाए तो भी उत्तराखंड में हिमाचल और त्रिपुरा जैसे राज्यों से भी कहीं कम सैंपलिंग हुई है।
राज्य में फिलहाल पांच सरकारी और एक प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच की जा रही है। इसमें से एक लैब बुधवार को ही शुरू हुई है।
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। इसके बाद सरकार दो महीने में सिर्फ चार लैब शुरू कर पाई। यदि सभी जिला अस्पतालों में ट्रू-नेट या अन्य तकनीक के जरिए जांचें शुरू कराने पर फोकस किया गया होता तो स्थिति बेहतर हो सकती थी। राज्य में अधिक सैंपलों की जांच होती तो इससे संक्रमण को रोकने में मदद मिलती। सरकार ने जांच बढ़ाने के लिए सभी जिला अस्पतालों में दो-दो ट्रू नेट मशीनें देने का निर्णय लिया था पर अभी तक ऐसा भी नहीं हो पाया है।
सरकार ने बीते दिनों सैंपलिंग बढ़ाने के प्रयास किए थे पर लैब की क्षमता कम होने से यह प्रयास भी बेकार जाता दिख रहा है। बीते दस दिन में राज्य की लैब पर दबाव बढ़ गया है। इससे लैबों में 7004 सैंपल की जांच पेंडिंग है। जांच में देरी से रिपोर्ट का इंतजार कर रहे लोगों की बेचैनी भी बढ़ रही है। इस वजह से क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे प्रवासियों की सांसे भी अटकी हुई हैं।
राज्य में सैंपलिंग बढ़ाने के लिए कैबिनेट ने प्राइवेट लैब में भी निशुल्क जांच शुरू करने का निर्णय लिया था। लेकिन कैबिनेट के कई दिन बाद भी इस संदर्भ में अभी तक आदेश नहीं हो पाए हैं। इस वजह से निशुल्क जांच करने वाली लैब के चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। इस मामले में हो रही देरी आगे चलकर बड़ी परेशानी का कारण भी बन सकती है। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग बिना आदेश के ही टेंडर की प्रक्रिया पर विचार कर रहा है। हालांकि अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।

कोरोना संक्रमित की मृत्यु होने पर आश्रितों को देंगे एक लाख
संवाददाता, देहरादून। तीन दिन के सेल्फ क्वारंटीन के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बृहस्पतिवार से कामकाज संभाल लिया। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित की मृत्यु होने पर आश्रित को एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
कहा कि कोविड-19 से लड़ाई में सख्ती और जागरुकता हमारे दो प्रमुख अस्त्र हैं। सचिवालय स्थित अपने कार्यालय की बजाए उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर कोविड-19 की रोकथाम को लेकर जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कई सख्त निर्देश दिए। य् मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को कंटेनमेंट जोन में गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करवाने के निर्देश दिए। कहा कि कंटेनमेंट जोन के बाहर भी फिजिकल डिस्टेंसिंग, मास्क की अनिवार्यता के लिए लोगों को लगातार जागरूक किया जाए।
निर्देश दिए कि जो लोग इनका पालन न करें, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। इसके लिए फील्ड सर्विलांस पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्वारंटीन सेंटरों में आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
सेल्फ क्वारंटाइन से मुख्यमंत्री और तीन मंत्री बाहर आए। मंत्रियों ने कामकाज शुरू किया। 29 मई की कैबिनेट बैठक में शामिल हुए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद 31 मई को मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, डॉ हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल अपने आवासों पर सेल्फ क्वारंटाइन में चले गए थे। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के अनुसार मुख्यमंत्री समेत तीनों मंत्री आज सेल्फ क्वारंटाइन से बाहर आ गए हैं और सभी ने कामकाज शुरू कर दिया है। कौशिक ने बताया कि वह खुद भी विधानसभा स्थित कार्यालय में कामकाज निबटाएंगे।

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