नेपाल के भूकंप का नोएडा से सीधा नाता; पानीपत में मौजूद है फॉल्टलाइन, अगस्त में मिल चुका है संकेत
नई दिल्ली, एजेंसी। नेपाल में आए 6.2 की तीव्रता के भूकंप का नोएडा से भी सीधा नाता जुड़ रहा है। भूवैज्ञानिकों की माने तो नेपाल में जिस तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया है उतनी तीव्रता का भूकंप रेड जोन के भूकंप की श्रेणी में माना जाता है। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि तकरीबन डेढ़ महीने पहले 16 अगस्त को पहली बार नोएडा में भूकंप का केंद्र बना था। हालांकि उसे दौरान इसकी तीव्रता महज 1.6 की ही थी। लेकिन चिंता इस बात की जाहिर की गई थी कि दिल्ली एनसीआर में नोएडा के एक हिस्से में इसका केंद्र बन गया था। अब वैज्ञानिकों को चिंता इस बात की सता रही है कि पानीपत में मौजूद फॉल्टलाइन के चलते कहीं दिल्ली एनसीआर पर बड़े भूकंप का असर न दिखे। वहीं, वल्नेबरिलिटी काउंसिल आफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली-एनसीआर की हर ऊंची इमारतें तो असुरक्षित नहीं है। लेकिन अगर यहां सात की तीव्रता वाला भूकंप आया तो दिल्ली की कई सारी इमारतें और घर रेत की तरह बिखर जाएंगी।
नेपाल में आए मंगलवार को भूकंप के बाद भू वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से इस बात पर चिंता जाहिर की है कि जिस तरीके से लगातार भूकंप की फ्रीक्वेंसी देखी जा रही है वह कभी भी किसी तरह की बड़ी आपदा के तौर पर सामने आ सकती है। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अन्ना.बी स्वामी कहते हैं कि दरअसल जिस सीस्मिक जोन में दिल्ली एनसीआर आता है वह जोन नंबर चार है। यह वह खतरनाक जोन है जहां पर 7 तीव्रता का भूकंप भी आ सकता है। हालांकि उनका कहना है कि नेपाल में आए भूकंप का सीधे तौर पर नोएडा में तब तक बड़ा असर नहीं हो सकता है जब तक की उसकी तीव्रता बहुत ज्यादा ना हो। लेकिन जिस जोन में नेपाल आता है इस कैटिगरी के जोन में दिल्ली और एनसीआर भी आता है। यह कहना कि नेपाल में आए भूकंप का असर दिल्ली एनसीआर में नहीं पड़ेगा या उसके आफ्टर शॉक्स का असर यहां पर नहीं होगा यह बड़ी भूल हो सकती है। उनका मानना है कि दिल्ली एनसीआर के ही हिस्से में आने वाले पानीपत में वह फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भविष्य में किसी बड़ी तीव्रता वाले भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
7 मैग्नीटिट्यूड से ज्यादा का आ सकता है भूकंप दिल्ली में
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिस्मिक जोन-4 में आने वाली राजधानी दिल्ली भूकंप के बड़े झटके से खासा प्रभावित हो सकती है। वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के पूर्व उपनिदेशक डॉक्टर एसएन चंदेल का कहना है सीस्मिक जोन 4 में आने वाले भूकंप की तीव्रता 7 मैग्नीट्यूड के करीब की हो सकती है। क्योंकि दिल्ली एनसीआर इसी जोन में आता है। ऐसे में अगर इतनी तीव्रता के भूकंप का केंद्र इसी इलाके की जमीन के नीचे होता है तो यह बहुत खतरनाक और बड़ी भीषण स्थिति हो सकती है। वरिष्ठ भू वैज्ञानिकों का मानना है कि बुधवार को नोएडा के नीचे बनने वाले भूकंप के केंद्र को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी कम तीव्रता के भूकंप रोजाना हजारों की संख्या में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आते हैं, जिनको की महसूस भी नहीं किया जा सकता है।
यह कहती है वीसीआई की रिपोर्ट
दिल्ली और एनसीआर में बीते कुछ सालों में आए भूकंप के बाद यहां की इमारतों की मजबूती को जांचने के लिए वल्नेबरिलिटी काउंसिल आफ इंडिया ने एक रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट को तैयार करने में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर की हर ऊंची इमारत असुरक्षित नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यहां सात की तीव्रता वाला भूकंप आया तो दिल्ली की कई सारी इमारतें और घर रेत की तरह बिखर जाएंगे। इन इमारतों में निर्माण सामग्री ऐसी है जो भूकंप के झटकों का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम ही नहीं हैं। काउंसिल की रिपोर्ट को बिल्डिंग मटेरियल एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल ने प्रकाशित भी किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कम तीव्रता के भूकंप में दिल्ली एनसीआर की हर इमारत दरक जाएगी, यह कहना उचित नहीं है। लेकिन बिल्डिंग मटेरियल की कमजोरी के चलते यह इमारते हैं रिस्क जोन में तो आ ही जाती हैं।
अगर दिल्ली एनसीआर में बना भूकंप का केंद्र तो आएगी तबाही
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की सीस्मोलॉजी डिविजन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि उनकी टीम ने देश के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप के लिहाज से अपना सर्वे भी किया है। ऐसे सर्वे में शामिल एक वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व है। यहां की लाखों इमारतें दशकों पुरानी हो चुकी हैं और कई मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि नदियों के या उनके केचमेंट एरिया से कुछ किलोमीटर के दायरे में बनने वाली इमारतों के नीचे की मिट्टी भूकंप के झटकों को सहने के लिहाज से सबसे कमजोर मानी जाती है। इसलिए इस दायरे में आने वाली सभी बिल्डिंग है ना सिर्फ खतरनाक है बल्कि नोएडा या दिल्ली जैसे शहर में कभी एपीसेंटर होने की वजह से बड़ा खतरा भी ला सकती हैं।
भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भूगर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद हैं। जिसके चलते भविष्य में किसी बड़ी तीव्रता वाले भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे मुख्यतया पांच लाइन दिल्ली-मुरादाबाद, दिल्ली-मथुरा, महेंद्रगढ़-देहरादून, दिल्ली सरगौधा रिज और दिल्ली-हरिद्वार रिज मौजूद है। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर में दिल्ली-हरिद्वार कगार, महेंद्र गढ़-देहरादून भ्रंश, मुरादाबाद भ्रंश, सोहना भ्रंश, ग्रेट बाउंड्री भ्रंश, दिल्ली-सरगोडा कगार, यमुना तथा यमुना गंगा नदी की दरार रेखाएँ जैसे कमजोर क्षेत्र और फॉल्ट स्थित है। इन कमजोर क्षेत्रों तथा भ्रंशों से आंतरिक तनाव ऊर्जा बाहर निकल सकती है और किसी बड़े भूकंप का कारण बन सकती है।