उत्तराखंड

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देहरादून। राज्घ्य में वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से पेड़ों के अवैध कटान के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला देहरादून की झाजरा रेंज का है। यहां अटक फर्म में माफियाओं ने वन अधिकारियों की मिली भगत से बेश कीमती खैर के 10 पेड़ों की चढ़ा दी बली दे दी। यही नहीं लकड़ी भी रातों रात गायब कर दी। इन तस्घ्करों को बचाने के लिए रेंजर ने अपने ही अधिकारियों को गुमराह तक कर डाला ।
मिली जानकारी के अनुसार लगभग दो सप्घ्ता पहले अटक फार्म में माफियाओ ने दस खैर के रहे पेड़ों पर आरी चला दी और किसी को भनक लगे इससे पहले रातों रात पूरी लकड़ी वहां से गायब कर दी। जब स्घ्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत वन अधिकारियों से की तो रेंज के वनअधिकारियों ने इस मामले की जानकारी अपने अधिकारियों को देने के बजाय खुद ही लीपा पोती कर माफियाओं को बचाने के लिए पूरी भूमिका बना दी। दो सप्घ्ताह तक जब कोई कार्रवाई नहीं हुयी तो स्घ्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी डीएफओ देहरादून को दी। डीफओ ने जब इस विषय में रेंजर से जानकारी की तो रेंजर ने डीएफओ को भी गुमराह कर दिया। रेंजर ने डीफओ को बताया कि मामला कालसी रेंज का हे जबकि लगभग 3 वर्ष पहले भी उसी जगह पर 20 पेड़ खैर के वन तस्करों ने काटे थे जिनको रेंजर विनोद चौहान के द्वारा पंजाब और हरियाणा से गिरफ्तार किया गया था और उनके कब्घ्जे से 20 पेड़ खैरो की लकड़ी बरामद की गई थी। इसके बाद यहां लगभग तीन सालों तक इस तरह के पेड़ों के अवैध कटान के मामले सामने नहीं आए लेकिन इस समय एक बार फिर से महिला रेंजर के होते यहां वन तस्घ्कर हावी हो गये और अपने कारनामे को अंजाम दे दिया। इस पर रेंजर ने भी वन तस्घ्करों के खिलाफ कार्रवाई करने बजाए अपने अधिकारियों को ही गुमराह कर वन तस्घ्करों को सहयोग किया जा रहा है। रेंजर का कहना है कि ये पेड ग्राम समाज की भूमि में काटे गये और कुछ पेड़ कालसी रेंज के अधीन हैं जबकि पूरा अटक फार्म झाजारा रेंज में आता है। इसी अटक फार्म में पिछले दिनों पीपल का एक हरा भरा पेड़ काट कर भू माफियाओ ने यहां रह रहे हजारों हिन्घ्दुओं की आस्घ्था को चोट पहुंचाई थी।

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