उत्तराखंड

विपक्षी दलों ने यूसीसी के कई प्रावधानों पर जताई आपत्ति

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देहरादून)। कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने समान नागरिक सहिंता(यूसीसी) में शादी, तलाक, संपत्ति बंटवारे, लिव इन रिलेशनशिप पर लाए गए प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। आरोप लगाया कि सरकार ने यूसीसी के नाम पर निजता के अधिकार का अनन किया है। लिवइन रिलेशनशिप अपराध की श्रेणी में आ गई है। उत्तराखंड प्रेसक्लब में गुरुवार को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, सीपीआई एमएल, उत्तराखंड महिला मंच, इंसानियत मंच आदि ने संयुक्त प्रेसवार्ता की। महिला मंच की कमला पंत ने कहा कि सरकार ने जिस बिल को नागरिक संहिता कहकर पारित किया है, सही मायनों में वह दंड संहिता है। इसमें शादी, तलाक और लिवइन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन नहीं करने पर दंड की व्यवस्था की गई है। सपा के राष्ट्रीय सचिव डा़ सत्यनारायण सचान ने कहा कि अनुसूचित जनजातियों, रुढ़ि और प्रथा को यूसीसी से बाहर रखा गया है। भाजपा ने वोट बैंक बचाने के लिए यह किया है। कांग्रेस की प्रदेश मुख्य प्रवक्ता गरिमा दोसानी ने कहा कि यह बिल सिर्फ कुछ समुदायों को निधाने पर लाने के लिए लाया गया है। इसमें अल्पसंख्यक, महिलाएं और लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले शामिल हैं। सीपीआई-एमएल के इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि लिवइन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन से दमन, भ्रष्टाचार और मनमानी बढ़ेगी। महिलाओं के खिलाफ हिंसाएं बढ़ेंगी। इंसानियत मंच के रवि चोपड़ा और अधिवक्ता रजिया बाग ने कहा कि इस कानून द्वारा मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया है। शादी, तलाक, संपत्ति के बंटवारे को लेकर पहले ही बेहतर कानून मौजूद हैं। यूसीसी में की गई व्यवस्थाएं धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ हैं। मौके पर निर्मला बिष्ट, सुरेंद्र सिंह सजवाण, त्रिलोचन भट्ट आदि मौजूद थे।

 

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