उत्तराखंड

बदरीनाथ धाम में भगवान कुबेर से जुड़ी परंपराओं को तोड़ने के प्रयास का विरोध

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नई टिहरी। देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित समाज ने बदरीनाथ धाम में भगवान कुबेर से जुड़ी सनातन परंपराओं को तोड़ जाने के प्रयासों का विरोध किया है। इस संबंध में तीर्थ पुरोहित समाज ने बदरीनाथ धाम के मुख्य रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के माध्यम से पुलिस और प्रशासन को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की है। श्री बदरीश पंडा पंचायत एवं श्री बदरीश युवा पुरोहित संगठन ने देवताओं के लोकपाल भगवान कुबेर से जुड़ी परंपरा को बदले जाने की कोशिश पर आपत्ति की है। पंडा पंचायत अध्यक्ष प्रवीन ध्यानी ने बताया कि केरल के एक परिवार द्वारा बदरीनाथ धाम में भगवान कुबेर से जुड़ी परंपरा को बदलने की बात सोशल मीडिया पर प्रचारित की जा रही है। केरल निवासी बदरीनाथ धाम के मुख्य रावल नंबूदरी ने भी इस परंपरा का विरोध करते हुए चमोली डीएम और एसपी से कार्यवाही की मांग की गई है। बताया कि केरल के जिला पालाकाडू स्थित चालावरा स्थान पर दो वर्ष पूर्व केरल के एक परिवार ने भगवान कुबेर का मंदिर बनावाया था। उन्होंने मंदिर में कुबेर भगवान की सोने की मूर्ति स्थापित की। अब वह परिवार कुबेर भगवान की उस सोने की मूर्ति को बदरीनाथ धाम लेकर आना चाहते हैं। शीतकाल प्रवास के दौरान वह परिवार उस सोने की मूर्ति को अपने साथ वापस केरल ले जाने का प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं। पंडा पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि प्राचीन परंपरा अनुसार भगवान कुबेर छह माह बदरीनाथ तथा छह माह पांडुकेशवर में निवास करते हैं। इसके अलावा भगवान कुबेर को कहीं और नहीं ले जाया जा सकता है। युवा पुरोहित संगठन अध्यक्ष श्रीकांत बडोला ने कहा कि निजी स्वार्थों के चलते केरल के इस परिवार के ऐसे त्य का विरोध किया जाएगा। साथ ही सरकार से ऐसे कार्य को रोकने की मांग भी की जाएगी। बताया कि उत्तर रामायण में भगवान कुबेर के रावण के भय से उत्तर दिशा अलकापुरी में बसने का भी उल्लेख है। कहा कि बदरीधाम में युगों से भगवान कुबेर की पूजा होती आ रही है।

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