उत्तराखंड

पुश्तैनी भूमि पर बुलडोजर चलाने पर भड़के तीर्थपुरोहित

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नई टिहरी। बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान में बुलडोजर की धमक से तीर्थ पुरोहितों में जबरदस्त रोष बन गया है। प्रशासन की ओर से तीर्थ पुरोहितों की गैर मौजूद्गी व सहमति बिना उनकी भूमि पर बुलडोजर चला दिया गया है। श्री बदरीश पंडा पंचायत ने प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध करते हुए चमोली के डीएम से तत्काल बुलडोजर रोकने की मांग की है। बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान को धरातल पर उतारने की जल्दी में प्रशासन ने सभी कानून ताक पर रख दिए हैं। यहां प्रथम चरण में अलकनंदा तट पर प्रस्तावित आस्था पथ निर्माण के लिए प्रशासन की ओर से तीर्थ पुरोहितों की पुस्तैनी जमीनों पर बुलडोजर चला दिया गया है। श्री बदरीश पंडा पंचायत प्रतिनिधि अशोक टोडरिया ने बदरीनाथ पहुंचकर जब इसकी जानकारी व फोटो देवप्रयाग भेजी तो, यहां जबरदस्त आक्रोश बन गया। प्रशासन की ओर से मास्टर प्लान के नाम पर बदरीनाथ में अलकनंदा तट स्थित दस से अधिक तीर्थ पुरोहितों के घरों से सटी भूमि पर बुलडोजर चला दिया गया है। जबकि अभी तक प्रशासन ओर से प्रभावित तीर्थ पुरोहित से भूमि भवन अधिग्रहण की कोई भी कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। प्रशासन की ओर से चलाए गए बुलडोजर से तीर्थ पुरोहितों के घरों की नीव खोदे जाने से उनके गिरने कि आशंका बढ़ गई है। बदरीनाथ धाम के कपाट अभी 8 मई को खुलने है, ऐसे में अभी प्रभावित तीर्थ पुरोहितों में से कोई भी धाम में नहीं पहुंचा है। उनकी गैर मौजूद्गी में उनकी भूमि पर चले बुलडोजर से तीर्थ पुरोहित काफी रोष में हैं। प्रभावित तीर्थ पुरोहित प्रशांत भट्ट, चिरंजी लाल पंचपुरी, मिठ्ठन लाल, राजेंद्र कर्नाटक, प्यारे लाल बहुगुणा,ाषि रैवानी, गिरीश ध्यानी, विजय टोडरिया आदि के अनुसार प्रशासन ने उनकी भूमि भवन के बदले दिए जाने वाले मुआवजे व भवन का कोई भी लिखित दस्तावेज उन्हें नहीं दिया है। श्री बदरीश पंडा पंचायत अध्यक्ष प्रवीन ध्यानी ने डीएम को भेजे पत्र में बदरीनाथ मास्टर प्लान के फेज एक में नारायणपुर स्थित रिवर फ्रंट में तीर्थ पुरोहितों की बिना अनुमति कार्य शुरू किए जाने व उनके घरों की नीव खोखली किए जाने का कड़ा विरोध किया है। उनके अनुसार तीर्थ पुरोहितों की मौजूद्गी में उनकी भूमि का माप लेकर पहले उनका मुआवजा व आवास तय किया जाए। पंडा पंचायत के अनुसार प्रशासन को पूरा सहयोग दिए जाने के बावजूद इस तरह की कारवाही से तीर्थ पुरोहितों को काफी आघात पहुंचा है व प्रशासन के प्रति विश्वास भी घटा हैं।

 

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