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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवंबर में राष्ट्र को समर्पित करेगें उत्तराखण्ड के पाखरौ की टाइगर सफारी

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स्वार्थी लोग कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की छवि को धूमिल करने का कर रहे प्रयास
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग, लैंसडौन के डीएफओ किशन चंद ने कहा कि पाखरौ टाइगर सफारी का शुभारंभ नवंबर माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेगें। इस संबंध में पीएमओ कार्यालय से वार्ता चल रही है। जल्द ही तिथि तय हो जायेगी। यह देश की नेशनल पार्क के अंदर पहली टाइगर सफारी है। उन्होंने कहा कि टाइगर सफारी का करीब 30 प्रतिशत काम बचा है, जो नवंबर माह के पहले सप्ताह तक पूरा हो जायेगा। टाइगर सफारी के लिए 125 कर्मचारियों की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि टाइगर सफारी शुरू होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। जिससे कालागढ़, पाखरौ, गूजर स्रोत व कोटद्वार क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय बढ़ेगा। इसलिए कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग में पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए गाइड लाइन के अनुसार विकास कार्य कराये जा रहे है। इसके लिए 160 करोड़ की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि कुछ स्वार्थी लोग बेबुनियाद आरोप लगाकर कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है। ऐसे व्यक्ति वास्तव में वन एवं पर्यावरण तथा वन्य जीवों के हितैशी नहीं बल्कि स्वार्थसिद्धि वाले व्यक्ति है।
डीएफओ किशन चंद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 फरवरी 2019 को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व भ्रमण के दौरान कालागढ़ टाइगर रिजर्व के अंतर्गत पाखरौ में टाइगर सफारी बनाने की घोषणा की थी। पाखरौ के 116 हे. क्षेत्र में मास्टर प्लान के अनुरूप टाइगर सफारी बनाने का कार्य प्रगति पर है। नवंबर माह में टाइगर सफारी का लोकापर्ण किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वन निगम पौड़ी द्वारा कंपाट आठ में 26 सहित 163 पेड़ों का पातन किया जाना है। अभी तक 143 पेड़ों का पालन हो चुका है। पातन का कार्य प्रगति पर है। प्रकाष्ठ को कोटद्वार वन निगम डिपो में लाया जा रहा है। इस क्षेत्र में वेटनरी अस्पताल, तीन बाड़े सहित अन्य विकास कार्य किये जा रहे है। बाडे की ऊंचाई 6 मीटर की गई है। पाखरौ टाइगर सफारी के लिए 6 टाइगर की अनुमति मिली है। उन्होंने कहा कि वन विभाग की सभी चौकियों में पानी, बिजली सहित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। सनेह से पाखरौ तक 19 किलोमीटर विद्युत लाईन बिछाई जानी है, अभी तक 6.5 किलोमीटर लाइन बिछाई जा चुकी है।
डीएफओ ने कहा कि कालागढ़-पाखरौ वन मोटर मार्ग एक मुख्य मार्ग है जो गस्त एवं पर्यटकों के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। कालागढ़-नर्सरी चौकी के बीच का क्षेत्र जल भराव का क्षेत्र है, जहां से पूर्व में नदी बहा करती थी, जिसे कालागढ डैम बनने के बाद दिशा परिवर्तन किया गया है। उक्त क्षेत्र में थोड़ी से बारिश होने पर जल भराव होने के कारण मार्ग जगह-जगह खराब होता रहता है, जिस कारण वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु गस्त करने में वन कर्मियों को दिक्कतें होती है। वहीं पर्यटकों के वाहन भी कीचड़ में फंस जाते है। इसलिए कालागढ़-पाखरौ मार्ग पर पांच छोटे-छोटे कलर्वट पानी की निकासी के लिए बनाये गये है। उन्होंने कहा कि कालागढ़-पाखरौ मार्ग को सुचारू रूप से चलाने के लिए पुल व छोटे-छोटे कलर्वटों का निर्माण किया जाना है, जिससे उक्त मोटर मार्ग गस्त व पर्यटकों के लिए वर्ष भर खुला रहे। इस मार्ग के सुदृढ़ीकरण, पुलिया निर्माण में किसी भी वृक्षों का पातन निहित नहीं है, क्योंकि यह पूर्व से निर्मित मार्ग है। उन्होंने कहा कि गाइड लाइन के अनुसार वन क्षेत्र में विकास कार्य किये जा रहे है।
डीएफओ किशन चंद ने कहा कि मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए कालागढ़ से पाखरौ की ओर 7 किलोमीटर हाथी रोधी दीवाल पूर्व से ही निर्मित है। उक्त दीवाल को कालागढ़ टाइगर रिजर्व की दक्षिणी सीमा पर (उत्तर प्रदेश की सीमा पर) निरन्तरता में गूजर स्रोत तक बनाया जाना प्रस्तावित है। इससे जहां एक ओर मानव वन्य जीव संघर्ष में कमी आयेगी वहीं कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की दक्षिणी सीमा से लगे किसानों की फसलों को वन्य जीवों के नुकसान से बचाया जा सकेगा।

23 हजार बांस के पौधे लगाये
कोटद्वार। कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग, लैंसडौन के डीएफओ किशन चंद ने कहा कि शिवालिक का यह क्षेत्र पूर्व में बांस की प्रजाति से भरा हुआ था। रामनगर, कोटद्वार, ज्वालापुर, नजीबाबाद, सहारनपुर में बांस की बड़ी-बड़ी मंडिया होती थी। 1980 के दशक में उक्त क्षेत्र में बांस की पुष्प जन्न हो गई और इस क्षेत्र का बांस मर गया। जिस कारण बांस की उक्त मंडियां धीरे-धीरे समाप्त हो गई। बांस के अभाव में हाथियों ने रोहणी को खाना शुरू कर दिया। साथ ही अन्य पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाने लगे। उन्होंने कहा कि दोबार बांस को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी के तहत 23 हजार बांस के पौधे व 1 कुंटल बांस का बीज बोया गया है।

वन कर्मी टै्रक्टर ट्राली से कर रहे गश्त
कोटद्वार। कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग, लैंसडौन के डीएफओ किशन चंद ने कहा कि संसाधन न होने से दूरस्थ क्षेत्रों में गश्त करना कठिन होता था। दूरस्थ क्षेत्रों में वन कर्मी पैदल ही गश्त करते थे। जिससे जंगली जानवरों के हमला करने का खतरा भी बना रहता था। इसलिए दूरस्थ क्षेत्रों में गश्त करने के लिए ट्रैक्टर ट्रालियां खरीदी गई है। अब वन कर्मियों की टीम दूरस्थ क्षेत्रों में गश्त कर रही है।

केटीआर प्रभाग की दक्षिणी सीमा अत्यन्त संवेदनशील
कोटद्वार। कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग, लैंसडौन के डीएफओ किशन चंद ने कहा कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग की दक्षिणी सीमा अत्यन्त संवेदनशील है। जहां पर मानव वन्य जीव संघर्ष एवं शिकार की घटनाओं पर अंकुश लगाना पहली प्राथमिकता है। 13 मार्च 2016 को उत्तर प्रदेश में पांच बाघ की खाले पकड़ी गई थी वह भी कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग के दक्षिणी सीमा के पास है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कालागढ़-पाखरौ गूजर स्रोत मार्ग का सुदृढ़ीकरण, दक्षिणी सीमा पर दीवार बनाना, मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकना व चौकियों का निर्माण, एण्टीपोंचिग चौकी निर्माण, स्टाफ हेतु भवनों के निर्माण व अन्य अवस्थापना का निर्माण किया जाना भी अति आवश्यक है।

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