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पुणे और नासिक के बीच सेमी हाईस्पीड रेल लाइन को मिली मंजूरी

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मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को पुणे और नासिक के बीच नई ग्रीनफील्ड सेमी हाईस्पीड रेल लाइन को मंजूरी प्रदान कर दी। इस परियोजना पर भारतीय रेलवे और महाराष्ट्र सरकार मिलकर काम कर रहे हैं। रेलवे ने बताया कि परियोजना के लिए योजना, डिजाइन और सभी बुनियादी जमीनी कार्य कर लिए गए हैं और यह महाराष्ट्र में पहली ऐसी ब्राडगेज सेमी हाईस्पीड रेल लाइन होगी।
इस 235 किमी लंबी सेमी हाईस्पीड रेल लाइन के निर्माण से पुणे और नासिक के बीच यात्रा का समय छह घंटे से घटकर 1़45 घंटे रह जाएगा। इस विद्युतीत दोहरी लाइन पर 18 सुरंगे और 19 वायडक्ट (लंबे व ऊंचे पुल) होंगे। मध्य रेलवे ने 10 फरवरी, 2020 और रेल मंत्रालय ने दो जून, 2020 को इस परियोजना को मंजूरी प्रदान की थी। अब महाराष्ट्र सरकार ने भी इसे अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
महाराष्ट्र रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एमआरआइडीसी या महारेल) इस परियोजना को क्रियान्वित कर रही है। इसके प्रबंध निदेशक राजेश कुमार जायसवाल को परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए जाना जाता है। 310 किमी लंबी जलगांव-सूरत परियोजना को उन्होंने तीन साल में पूरा किया था। हाईस्पीड ट्रेनों में उनकी विशेषज्ञता है और श्कंस्ट्रक्शन एंड मेंटीनेंस आफ हाईस्पीड रेलवेश् के नाम से उन्होंने एक किताब भी लिखी है जो इस विषय पर देश में एकमात्र किताब है।
पुणे-नासिक के बीच इस सेमी हाईस्पीड रेलमार्ग पर 24 स्टेशन होंगे। सेमी हाईस्पीड ट्रेन में शुरुआत में छह कोच ही होंगे। जिन्हें बाद में 12 और 16 तक बढ़ाया जा सकता है। शुरू में ट्रेन की रफ्तार 200 किमी प्रति घंटा होगी जिसे बाद में 250 किमी प्रति घंटा तक बढ़ाया जा सकता है।
रफ्तार से नहीं होगा कोई समझौता
उपलब्ध विवरण के मुताबिक, प्रस्तावित रेल लाइन पुणे जिले में हवेली, खेड़, अंबेगांव और जुन्नार तहसीलोंय अहमदनगर जिले की संगमनेर तहसील और नासिक जेल के सिन्नार व नासिक तहसील से होकर गुजरेगी। इस रेल लाइन को इस तरह डिजाइन किया गया है कि रफ्तार के साथ कोई समझौता नहीं किया जाए। चाकन, मंचार, नारायणगांव, एलीदेंटा और संगमनेर जैसे बड़े स्टेशनों पर निजी फ्रेट टर्मिनल्स की भी योजना बनाई गई है। इसके अलावा विभिन्न स्टेशनों पर लोडिंग और अनलोडिंग सुविधाओं की भी योजना है। यह परियोजना अपने आप में अनूठी है क्योंकि इसे इस तरह डिजायन किया गया है कि जिससे इस पर हाईस्पीड ट्रेनों के साथ-साथ मालगाडिघ्यां और पारंपरिक यात्री ट्रेनें भी दौड़ सकें।
1,200 दिनों में पूरा होने का अनुमान
पूरी परियोजना पर 16,039 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इसमें महाराष्ट्र सरकार और भारतीय रेलवे 20-20 फीसद का योगदान देंगे, जबकि शेष 60 फीसद राशि घरेलू वित्तीय संस्थानों से जुटाई जाएगी। महारेल का अनुमान है कि वित्तीय समझौता होने के बाद इस परियोजना को 1,200 दिनों में पूरा किया जा सकेगा।

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