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आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर सवाल, शराब घोटाले के आरोप सही होने पर क्या खत्म होगी पार्टी की मान्यता?

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नई दिल्ली, एजेंसी। शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल के भी फंसने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि दो नवंबर को जब वे प्रवर्तन निदेशालय के सामने पूछताछ के लिए पेश होंगे, उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। चूंकि, आरोप लगाये जा रहे हैं कि शराब घोटाले का पैसा आम आदमी पार्टी के लिए इस्तेमाल किया गया है, आम आदमी पार्टी को भी इस मामले में एक आरोपी बना दिया गया है। तो क्या यदि शराब घोटाले के आरोप सही सिद्ध होते हैं, तो इसका असर आम आदमी पार्टी के अस्तित्व पर भी पड़ सकता है? सीधे शब्दों में कहें तो क्या (शराब घोटाले में दोषी करार होने के बाद) आम आदमी पार्टी की मान्यता समाप्त हो सकती है और वह चुनाव लड़ने के योग्य करार दी जा सकती है? सर्वोच्च न्यायालय के टॉप वकीलों से हमने इस मुद्दे पर विस्तृत बात की और इस मामले के कानूनी पहलुओं को समझने की कोशिश की।
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार दुबे ने अमर उजाला को बताया कि कोई राजनीतिक दल कोई व्यापारिक फर्म या कंपनी नहीं होती। वह किसी वित्तीय लेनदेन से नहीं जुड़ी होती। लिहाजा उसे किसी वित्तीय कदाचार के लिए सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन पार्टी के किसी पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा पैसे की लेनदेन का कोई गलत कार्य किया जाता है, तो उस पर आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है। इस मामले में दोषी साबित होने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
यदि एक राजनीतिक दल के तौर पर कोई गलत निर्णय लिया गया है, तो इसके लिए उस पर विभिन्न कानूनी प्रावधान लागू होते हैं। ऐसे मामले में पार्टी को एक आरोपी बनाया जा सकता है। ऐसे मामलों में पार्टी का अध्यक्ष या राष्ट्रीय संयोजक पार्टी की तरफ से अदालत में पेश होता है और पार्टी की तरफ से अपने बचाव में दलीलें पेश करता है। यदि पार्टी पर दोष साबित हो जाता है तो अदालत इस दोषसिद्धि को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग से अपेक्षित कार्रवाई करने का निर्देश दे सकता है।
अश्विनी कुमार दुबे ने बताया कि किसी राजनीतिक दल को मान्यता चुनाव आयोग में दर्ज नियमों के आधार पर दी जाती है। सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनाव आयोग के जनप्रतिनिधित्व कानून का पालन करना अनिवार्य होता है। यदि कोई राजनीतिक दल पीपल्स ऑफ़ रिप्रजेंटेशन एक्ट का उल्लंघन करता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। लेकिन यह कार्य चुनाव आयोग के द्वारा ही किया जा सकता है। कोई अन्य संस्था इस पर कोई निर्णय नहीं ले सकती।
राम मंदिर पर चले कानूनी विवाद में बाबरी मस्जिद की ओर से दलीलें पेश करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ वकील एमआर शमशाद ने कहा कि ढटछअ कानून में कुछ बिंदु ऐसे हैं, जिनकी व्याख्या अलग-अलग व्यक्ति अपने-अपने अनुसार कर सकता है। इस कानून में गलत तरीके से कमाए गए धन को जाने या अनजाने में लेने वाला व्यक्ति भी ढटछअ कानून का आरोपी बनाया जा सकता है। मान लिया जाए कि कोई व्यक्ति गलत तरीके से कमाए गए धन से किसी को कोई उपहार दे देता है, तो वह व्यक्ति भी कानून के दायरे में आ जाता है।
लेकिन यदि वही व्यक्ति उसी गलत तरीके से कमाए धन से किसी वकील को भुगतान कर देता है या आयकर भुगतान कर देता है तो क्या वकील या आयकर विभाग को भी ढटछअ कानून का दोषी करार दिया जा सकता है? इस पर स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं है। यह निर्णय ले रहे व्यक्ति के विवेक पर पर निर्भर करता है कि वह इस स्थिति में क्या निर्णय लेगा? निर्णय लेने वाले व्यक्ति के बदलने से इस मामले के निर्णय में भी बदलाव आ सकता है। इसलिए इस मामले में अंतिम रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
वरिष्ठ वकील माजिद मेमन ने कहा कि किसी राजनीतिक दल के विषय में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार केवल चुनाव आयोग के पास होता है। उस राजनीतिक दल ने कोई गलत कार्य किया है या नहीं, इसकी जांच भी चुनाव आयोग अपने स्तर पर कर सकता है। इसलिए आम आदमी पार्टी की मान्यता के मुद्दे पर सुनवाई दोषसिद्धि के बाद ही की जा सकती है।
शाहीन बाग़ आंदोलन के दौरान सर्वोच्च न्यायलय के द्वारा गठित मध्यस्थता कमेटी के सदस्य और वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि अभी पूरा मामला आरोपों तक सीमित है। आरोपों पर अदालतों में अलग-अलग राय भी सामने आ रही है। ऐसे में अभी से यह नहीं कहा जा सकता कि इस मामले का अंत किस प्रकार से होगा। ऐसे कई मामले चले हैं जिनमें लंबे समय तक चली अदालती प्रक्रिया के बाद मामलों को निरस्त कर दिया गया। ऐसे में अभी से आम आदमी पार्टी के अस्तित्व को लेकर कोई प्रश्न नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसी कोई स्थिति आने पर इस मामले पर अंतिम निर्णय चुनाव आयोग ही ले सकता है।

 

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