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2025 तक रक्षा क्षेत्र के निर्यात में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी: राजनाथ सिंह

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गांधीनगर, एजेंसी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निर्यात को घरेलू रक्षा उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए एक प्रमुख स्तंभ बताया है। गुरुवार को उन्घ्होंने कहा कि सरकार ने 2025 तक पांच अरब अमेरिकी डालर का रक्षा निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा है। गांधीनगर में 12वें डिदेंस एक्सपो में एक कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 2025 तक रक्षा उत्पादन में कुल 22 अरब अमेरिकी डालर के कारोबार पर नजर गड़ाए हुए है।
महात्मा मंदिर में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और सोसाइटी आफ इंडियन डिदेंस मैन्युफैक्चरर्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक संगोष्ठी में राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में केवल घरेलू मांग हमेशा लाभदायक निवेश करने और उन्हें बनाए रखने के लिए पैमाने अर्थव्यवस्था के लिए कारगर साबित नहीं हो सकती है। संगोष्ठी श्अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग में नई सीमाएंरू अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी, इनोवेशन और मेक इन इंडिया विषय पर थी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र के इंफ्रास्घ्ट्रक्घ्चर क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाने के लिए 2025 तक निर्धारित पांच अरब अमरीकी डालर का निर्यात लक्ष्य के लिए सरकार की मंशा को दर्शाता है। उन्होंने अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर इकाइयां स्थापित करने और भारतीय उद्योगों के साथ तकनीकी सहयोग विकसित करने के लिए श्कमजोरियों और अनिश्चितताओं से मुक्त ग्लोबल सप्लाई चेन बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है। राजनाथ सिंह ने इस दौरान खरीद श्रेणियों में वृद्घि जैसे स्थानीय डिदेंस इंफ्रास्घ्ट्रक्घ्चर को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें अपने वाणिज्यिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और भारत में एक उच्च प्रौद्योगिकी रक्षा उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए अमेरिकी निवेश को आकर्षित करने के लिए हमारे मूल्यवान पार्टनर के तौर पर अमेरिका के साथ काम करने में प्रसन्नता हो रही है। भारत के लिए अमेरिकी कंपनियों के साथ सहयोग मल्घ्टीप्घ्लायर बल, धन और रोजगार पैदा करने के रूप में एक महत्वपूर्ण कारक होगा। उन्घ्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के रास्घ्ते नीतिगत ढांचे का एक व्यापक सेट शामिल था, जो कि प्रतिष्ठित संस्थानों और मूल रूप से उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ मित्र राष्ट्रों के सहयोग, भागीदारी और सहयोग के साथ स्वदेशी तकनीकी और उत्पादन क्षमता और क्षमता का निर्माण करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करना है। साथ ही वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए विदेशी ओईएम की ग्लाबल सप्घ्लाई चेन के लिए दीर्घकालिक संबंध बनाना है। उन्होंने कहा, इन संबंधों के माध्यम से, भारत मुक्त दुनिया के लिए एक सुरक्षित और लचीला ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए सहयोग करने के लिए तत्पर है, ताकि हमारे देश और अमेरिका सहित हमारे भागीदारों के लिए रक्षा उपकरणों और अन्य रणनीतिक सामग्रियों तक निर्बाध और विश्वसनीय पहुंच पूरी हो सके।
इससे पहले एक्सपो के हिस्से के रूप में इन्वेस्ट इन डिदेंस कार्यक्रम में उन्होंने निवेशकों से मुद्दों को हल करने के लिए बिना किसी झिझक के उनसे या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क करने की अपील की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और न केवल बड़े करपोरेट बल्कि स्टार्ट-अप और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) भी अब इस क्षेत्र से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग भविष्य का सूर्योदय क्षेत्र है। सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को मौजूदा 12 अरब डालर से 2025 तक 22 अरब डालर करने का प्रयास कर रही है। हम 22 अरब डालर के इस लक्ष्य को भी पार कर सकते हैं। रक्षा क्षेत्र में अवसरों की कोई कमी नहीं है॥

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