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स्विमिंग पूल बनीं सड़कें, 150 से ज्यादा जगहों पर जलभराव; प्रगति मैदान टनल बंद

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नई दिल्ली, एजेंसी। दिनभर की बारिश में दिल्ली सरकार, नगर निगम व एनडीएमसी समेत सभी सिविक एजेंसियों के दावे बह गए। बारिश के दौरान सभी मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्ले तक में जलभराव के कारण स्विमिंग पूल जैसे हालात नजर आए। मिंटो ब्रिज, तिलक ब्रिज, आईटीओ, एम्स, प्रगति मैदान, पुल प्रहलादपुर समेत सभी अंडरपास जलभराव में डूबे रहे।
कनॉट प्लेस, चांदनी चौक, सदर बाजार समेत सभी बाजारों में भी जलभराव ने परेशान किया। शाम होने से पहले तक पूरी दिल्ली में 150 से ज्यादा जगहों पर जलभराव की सूचना मिली। इस बीच 12 जगहों पर सड़कों में गड्ढे हो गए और 11 जगहों पर पेड़ गिरने की शिकायतें मिलीं। जलभराव व ज्यादातर लालबत्ती बंद होने से भीषण जाम में वाहन चालक घंटों जूझते रहे।
दोपहर बाद मिंटो ब्रिज व प्रगति मैदान टनल को बंद करना पड़ा। पीडब्ल्यूडी की पंपिंग सेट से जलनिकासी की व्यवस्था फेल हो गई। यहां के ट्रैफिक को दूसरे रास्तों पर डायवर्ट कर दिया गया। इससे नजदीकी सड़कों पर लंबा जाम लगा। इस दौरान वाहन रेंगते हुए आगे बढ़ रहे थे। सबसे बुरी हालत बाइक सवारों की थी।
दूसरी तरफ एमसीडी, ट्रैफिक पुलिस, एनडीएमसी समेत दूसरी जलभराव व पेड़ गिरने की सूचनाएं मिलीं। ट्रैफिक पुलिसकंट्रोल रूम के मुताबिक कॉल आने के तुरंत बाद ही एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाकर जल निकासी कराने और पेड़ों को सड़कों से हटवाने का काम शुरू कर दिया गया था।
नई दिल्ली इलाके में अमृता शेरगिल मार्ग, जंतर मंतर रोड, चंगदी राम अखाड़ा, डीडीयू मार्ग, ईस्ट पटेल नगर और धीरपुर मेन रोड पर पेड़ गिरे थे, जिन्हें देर शाम तक हटाने का काम किया गया। वहीं, लाजपत नगर में सन लाइट कॉलोनी, द्वारका में राजा कॉलोनी, पंजाबी बाग में भारत दर्शन पार्क के सामने, शादीपुर मेट्रो स्टेशन और बूटा सिंह स्ट्रीट पर गड्ढे हो गए जिससे लोगों को काफी दिक्कत हुई।
तेज बारिश के कारण अधिकतर स्थानों पर नाले-नालियां चोक हो गईं। बारिश ने नगर निगम, पीडब्ल्यूडी और एनडीएमसी जैसी एजेंसियों की नालों की सफाई को लेकर किए जा रहे दावों की पोल खोल कर रख दी, जो 70-80 फीसदी अपने नाले साफ होने का दावा कर रहे थे। सिविक एजेंसियों ने नालों की सफाई का काम ठेके पर दे रखा है। ठेकेदार नालों की सफाई के नाम पर बमुश्किल 10 फीसदी गाद निकाल रहे हैं और सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। ऊपर से कई दिन गाद सड़क पर ही पड़ी रही और बारिश होने पर ये दोबारा बहकर नालियों में चली गई। ऐसे में ठेकेदारों ने गाद ढुलाई का खर्च भी बचा लिया है।

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