रोजगारपरक के इंतजाम गांव में ही विकसित किए जाए: टावरी
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर गढ़वाल। स्व. इंद्रमणी जनसेवा संस्था मढ़ी चैरास, पर्वतीय विकास शोध केंद्र एवं गढ़वाल विवि के मानव विज्ञान विभाग के तत्वावधान में गढ़वाल विवि के बिड़ला परिसर में उत्तराखंड़ के गांवों में पर्यावरण पूरक स्वाभिमानी स्वरोजगार पर प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में 200 युवाओं ने स्टार्टअप प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व सचिव डा. कमल टावरी ने कहा कि शहरों की बदहाली को देखते हुए क्यों न स्मार्ट शहर की जगह स्मार्ट गांव नहीं किय जाए। उन्होंने कहा कि रोजगारपरक के उचित इंतजाम गांव में ही विकसित किए जाए। व्यक्ति की योग्यता, क्षमता तथा स्वभाव के अनुसार मौके पर ही अवसर उपलब्ध बढ़ाए जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व काबीना मंत्री डा. मोहन सिंह रावत गांववासी ने कहा कि गांवों में पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध है। इन प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर गांव में ही स्थानीय परिवेश के आधार पर लघु उद्योग स्थापित किए जा सकते है। इससे पलायन को रोकने में सहायता मिल सकती है। कार्यक्रम में इंडो यूरोपियन कामर्स आफ स्याल एंड मिडियम इंटरप्राइजेज के निदेशक विजय तिवाड़ी ने कहा कि बार्डर एरिया पर गांव खाली हो रहें है। बार्डर के गांव में ही युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराएं जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन डा. अरविंद दरमोड़ा द्वारा किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक जयकृष्ण भट्ट, प्रो. विद्या सिंह चैहान, प्रो. अरूण बहुगुणा आदि मौजूद थे।
15 उद्यमियों को किया सम्मानित
बिड़ला परिसर के एसीएल सभागा में हुए कार्यक्रम में 15 उद्यमियों को सममानित किया गया। इसमें प्रो. मोहित सैनी, प्रो. मोहन सिंह पंवार, डा. जितेंद्र बुटोला, विशाल विवेक, पूर्णानंद भट्ट, लक्ष्मण सिंह सजवाण, द्वारिका प्रसाद सेमवाल, सतेंद्र भंडारी, सुरेश भाई, अवतार सिंह नेगी, रघुवीर कंडवाल, स्वामी अद्धैतानंद महाराज, एसपी चमोली, प्रणव उनियाल, विशाखा भट्ट को सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह् व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इन सभी उद्यमियों द्वारा अपने तैयार किए गये खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी भी कार्यशाला में लगाई गयी।