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समूह साधना और विश्व कल्याण की प्रार्थना के साथ मनाया गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा का पर्व

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संवाददाता, हरिद्वार। शांतिकुंज में गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा का पर्व समूह साधना और विश्व कल्याण की प्रार्थना के साथ मनाया गया। इस दौरान अखण्ड जप में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ आश्रम के साधकों ने भाग लिया। इस वर्ष लॉकडाउन के कारण शांतिकुंज परिवार ने पर्व पूजन का कार्यक्रम भावनात्मक रूप से सम्पन्न किया। पर्व के दौरान आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों में इस बार कई बदलाव हुए। किसी प्रकार का कोई मंचीय आयोजन नहीं हुआ। गायत्री परिवार प्रमुख डा़ प्रणव पण्डया ने वीडियो संदेश दिया। डा़ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गंगा और गायत्री भगवान की दो विशेष विभूतियां हैं। पतित पावनी गंगा में स्नान करने से तन शुद्ध होता है और गायत्री के नियमित पयपान करने से मन पवित्र होता है। इन दोनों का मानवों को नवजीवन देने के लिए अवतरण हुआ है। गायत्री व सूर्य की उपासना से साधक के प्राणों का शोधन होता है और ऊर्जा संचरित होती है, जो साधक को कई तरह की बीमारियों से बचाता है। उन्होंने भारत की गौरव गंगा को बताते हुए गंगा की महात्म्य की विस्तृत व्याख्या की। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि जिस तरह टाइप राइटर द्वारा टाइप किये अक्षर का प्रकटीकरण उसके सामने पेपर या स्क्रीन पर दिखता है, ठीक उसी तरह मनुष्य के विचार उनके किये गये कार्यों से पता चलता है। शैलदीदी ने गायत्री मंत्र की तीन धारा- अवांछनीयताओं से टकराने के लिए आत्मिक शक्ति, अच्छाई को ग्रहण करने की शक्ति एवं सामूहिक चेतना के जागरण के लिए कल्याणकारी शक्ति के रूप में निरुपित किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह मन से गंगा में स्नान करने से तन शुद्ध हो जाता है, उसी तरह गायत्री की मनोयोगपूर्वक साधना से साधक का विचार पवित्र होता है।

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