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सनातन धर्म में गुरू शिष्य परम्परा का विशेष महत्व : स्वामी विशोकानंद भारती

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स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने दी स्वामी धर्मात्मानन्द सरस्वती व साध्वी अनन्या को सन्यास दीक्षा
हरिद्वार। महानिर्वाणी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में गुरू शिष्य परम्परा का विशेष महत्व है। आदि अनादि काल से चली आ रही गुरू शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरू द्वारा शिष्यों को सन्यास दीक्षा देकर उन्हें मानव कल्याण का दायित्व सौंपा जाता है। उत्तरी हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम घाट पर सभी तेरह अखाड़ों व संत महापुरूषों के सानिध्य में परमार्थ आश्रम के परमाध्यक्ष व पूर्व गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती द्वारा अपने गुरूदेव स्वामी धर्मानन्द सरस्वती महाराज के निर्वाण दिवस पर स्वामी धर्मात्मानंद सरस्वती व साध्वी अनन्या सरस्वती को सन्यास दीक्षा देने के दौरान स्वामी विशोका भारती महाराज ने कहा कि गुरू परंपराओं का निर्वहन करते हुए मानव कल्याण में योगदान करें। मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर है। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में स्वामी धर्मात्मानन्द सरस्वती व साध्वी अनन्या सरस्वती सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार कर धर्मोत्थान में योगदान देंगे। देश दुनिया में सनातन संस्कृति को अपनाया जा रहा है। गौरवशाली भारतीय परंपरांओं का निर्वहन ठीक रूप से किया जाना चाहिए। स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने अपने गुरूदेव स्वामी धर्मानन्द सरस्वती का स्मरण करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते हुए तथा उनके द्वारा शुरू किए गए सेवा प्रकल्पों में निरंतर वृद्धि करते हुए धर्मप्रचार व राष्ट्रसेवा में योगदान किया जा रहा है। गरीब, असहाय, निर्धन व जरूरतमंदों की सेवा निस्वास्र्थ रूप से की जानी चाहिए। नवनियुक्त मुख्यत्री तीरथ सिंह रावत को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते एक वर्ष से बंद गंगा आरती नए सीएम के प्रयासों से ही दोबारा शुरू हो पायी है। कोरोना के चलते कुंभ में शामिल होने को लेकर निराशा थी। लॉकडाउन के चलते सरकार चाहकर भी कुंभ की वैसी व्यवस्थाएं नहीं कर पायी जैसी वह करना चाहती थी। अब समय कम रह गया है और संसाधन भी कम हैं। ऐसे में नए मुख्यमंत्री का दायित्व है कि वह सभी व्यवस्थाएं पूर्ण करे और अधिक से अधिक लोगों को कुंभ स्नान का अवसर प्रदान करें। स्वामी धर्मात्मानंद सरस्वती व साध्वी अनन्या सरस्वती को आशीर्वाद प्रदान करते हुए महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि युवा संत सनातन संस्कृति की पताका को देश विदेश में प्रचारित प्रसारित करेंगे। स्वामी धर्मात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों के आशीर्वाद से सेवा कार्यो को निरंतर चलाया जाएगा। गंगा स्वच्छता, निर्मलता के अलावा गौसंरक्षण संवद्र्धन के प्रकल्प भी संचालित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों की दिव्य वाणी व दर्शन से श्रद्धालु भक्तों का कल्याण होता है। मां गंगा के तट पर किया गया धार्मिक कार्य भक्तों को सहस्त्रगुणा पुण्यफल प्रदान करता है। साध्वी अनन्या सरस्वती महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन संस्कृति का केंद्र बिन्दु है। कुंभ मेला सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि देश दुनिया से श्रद्धालु भक्त कुंभ के आयोजन में भाग लेते हैं। कुंभ पर्व के मौके पर संत महापुरूषों के दिव्य दर्शन अवश्य ही श्रद्धालु भक्तों का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इस अवसर पर स्वामी चिदानंद मुनि, म.म.स्वामी अर्जुन पुरी, स्वामी असंगानंद, म.म.स्वामी प्रेमानंद, म.म.स्वामी विवेकानंद, स्वामी सागर मुनि, स्वामी निरंजन देव, वेदांत प्रकाश, वीरेंद्र शर्मा दिवाकर भारती, प्रकाश, ललित, हरेंद्र सिंह, पारस स्वरूप, अतुल मगन आदि मौजूद रहे।

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