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सर्विस एक्ट: दिल्ली को कर देगा बर्बाद, यह अधिकारियों को सरकार के खिलाफ देता है विद्रोह का लाइसेंस- केजरीवाल

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नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली सर्विस एक्ट को लेकर दिल्ली सरकार फिर से केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है। दिल्ली की कैबिनेट मंत्री आतिशी की प्रेस वार्ता के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस सेवा अधिनियम को वापस लेने को कहा है। साथ ही कहा कि इस कानून से दिल्ली बर्बाद हो जाएगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, “दिल्ली सेवा अधिनियम (ऊी’ँ्र री१५्रूी अू३) अधिकारियों को चुनी हुई सरकार के लिखित आदेशों के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह करने का लाइसेंस देता है। अधिकारी चुने हुए मंत्रियों के आदेशों को मानने से इनकार करने लगे हैं। क्या कोई राज्य या देश या संस्था इस तरह चल सकती है? यह कानून दिल्ली को बर्बाद कर देगा और भाजपा यही चाहती है। अधिनियम को बिना देरी के निरस्त किया जाना चाहिए।”
आतिशी ने प्रेस वार्ता में कहा, ”आज कल दिल्ली में संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं। संविधान कहता है कि अधिकारी मंत्री के प्रति जवाबदेह हैं। मगर नया कानून इस जवाबदेही को समाप्त करता है। कुछ दिन पहले मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर कहा था कि वे उनकी बात नही मानेंगे। इसके बाद वित्त विभाग के प्रधान सचिव आशीष चंद्र वर्मा ने भी 40 पेज का पत्र आया है कि उन्होंने अब आदेश मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सर्विसेज एक्ट का हवाला देकर सरकार के तमाम काम रोकने की कोशिश जारी है।”
दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) करेगा। इसके चेयरमैन मुख्यमंत्री हैं और दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव हैं।यानी मुख्यमंत्री अल्पमत में हैं, वे अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकेंगे। दिल्ली विधानसभा द्वारा अधिनियमित कानून द्वारा बनाए गए कियी बोर्ड या आयोग के लिए नियुक्ति के मामले में एनसीसीएसए नामों के एक पैनल की सिफारिश उपराज्यपाल को करेगा। उपराज्यपाल अनुशंसित नामों के पैनल के आधार पर नियुक्तियां करेंगे। अब मुख्य सचिव ये तय करेंगे कि कैबिनेट का निर्णय सही है या गलत। इसी तरह अगर सचिव को लगता है कि मंत्री का आदेश कानूनी रूप से गलत है तो वो मानने से इंकार कर सकता है। सतर्कता सचिव अध्यादेश के आने के बाद चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं वे एलजी के प्रति बनाए गए प्राधिकरण के तहत ही जवाबदेह हैं। अब अगर मुख्यसचिव को यह लगेगा कि कैबिनेट का निर्णय गैर-कानूनी है तो वो उसे उपराज्यपाल के पास भेजेंगे।इसमें उपराज्यपाल को यह शक्ति दी गई है कि वो कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकते हैं। दिल्ली में जो भी अधिकारी कार्यरत होंगे, उन पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का कंट्रोल खत्म हो गया है, ये शक्तियां एलजी के जरिए केंद्र के पास चली गई हैं।

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