उत्तराखंड

मौहर्रम पर इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय ने किया मातम

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हरिद्वार। मौहर्रम के अवसर पर अंजुमन फरोग ए अजा के अध्यक्ष हैदर नकवी के संयोजन में शिया समुदाय द्वारा इमामबाड़ा अहबाब नगर ज्वालापुर में इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मजलिस ए हुसैन एवंम मातम किया। सज्जाद असगर नकवी ने मजलिस के दौरान कहा कि कर्बला में मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन परिवार वालों एवं साथियों की शहादत को याद करते हुए हर साल मोहर्रम पर मातम किया जाता है। सज्जाद असगर नकवी ने कहा यजीद द्वारा कर्बला में इमाम हुसैन को उनके साथी एवं परिवार सहित 3 दिन तक भूखा प्यासा रखकर मोहर्रम की 10 तारीख को शहीद कर दिया गया। इमाम हुसैन किसी जंग के इरादे से नही बल्कि अपने परिवार की औरतों और बच्चों को साथ लेकर यात्रा पर निकले थे। जिसमें इमाम हुसैन के साथ 6 माह का बच्चा अली असगर भी था। लेकिन यजीद द्वारा इमाम हुसैन को इराक के शहर कर्बला में रोक दिया गया ।
यजीद बहुत ही क्रूर शासक था जो हर बुराई को अच्छा और हर अच्छाई को बुराई बनाना चाहता था। यजीद का कहना था कि जो मै कहता हूं वो मानो वरना मरने के लिए तैयार हो जाओ। इमाम हुसैन ने जालिम के सामने सिर झुकाने से अच्छा सिर कटाना बेहतर समझा । इमाम हुसैन की यात्रा में बड़े और बच्चे सब मिलाकर 72 लोग मौजूद थे। इमाम हुसैन ने जब यजीद की बात मानने से इनकार किया तो यजीद के लाखों के लश्कर ने इमाम हुसैन के परिवार को शहीद कर दिया। यजीद ने 6 माह के बच्चे अली असगर के गले पर तीर चलवाने में भी कोई शर्म नही की। इमाम हुसैन और उनके परिवार एवं साथियों को शहीद करने के बाद उनकी घर की महिलाओं एवं बच्चों को बंदी बनाकर बाजारों में नंगे सर ले जाकर उन पर पत्थर बरसाए व अन्य क्रूर यातनाएं दी।
अंजुमन फरोग ए अजा के अध्यक्ष हैदर नकवी ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत का गम 1400 सालों से लगातार मनाया जाता रहा है। शिया समुदाय इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मोहर्रम में मातम करके शोक व्यक्त करते हैं और इमाम हुसैन की याद में मातम मनाते है। हैदर नकवी ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत का एक सबसे अहम मकसद यह था कि वह इंसानियत को बचाना चाहते थे और यजीद इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन था। इमाम हुसैन ने अपनी शहादत किसी एक वर्ग या किसी एक समुदाय के लिए नहीं दी थी बल्कि इंसानियत को बचाने के लिए अपनी शहादत दी और जालिम के सामने सिर न झुकने का संदेश भी दिया। मातम करने वालों में फिरोज हैदर जैदी, एहतेशाम अब्बास जैदी, अली हसन, अनवार हुसैन, जहूर हसन, गौहर जाफरी, शजर, ऐजाज नकवी, कबीर, आफताब हुसैन, हुसैन हैदर, अंसार हुसैन, इक्तेदार नकवी, शोएब नकवी, दिलशाद नकवी, अली रजा, बिलाल जैदी, अरशद, सालिम हुसैन, रविश नकवी, मोहम्मद, बिलाल नकवी, मुसव्विर अब्बास नकवी, हिलाल, बासित आदी लोग शामिल रहे।

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