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शीतकाल के लिए आज बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

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चमोली। समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट गुरुवार दोपहर बाद 3:35 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। पंच पूजाओं के क्रम में बुधवार को भगवान नारायण के सखा के रूप में धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने मां लक्ष्मी को शीतकाल के लिए भगवान के साथ गर्भगृह में विराजने का निमंत्रण दिया। उधर, भविष्य बदरी धाम व द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम के कपाट भी गुरुवार को ही शीतकाल के लिए बंद होंगे। बुधवार दोपहर धूप खिलने के बाद बदरीनाथ धाम में मौसम सुहावना रहा। हालांकि, अभी भी यहां दो फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है। इसके साथ ही उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड की ओर से कपाट बंद करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं। धाम के रावल ने लक्ष्मी मंदिर पहुंचकर उन्हें गर्भगृह में आने का निमंत्रण दिया। श्रद्धालुओं ने भी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की। इस मौके पर धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, वेदपाठी सत्य प्रसाद चमोला, राधाकृष्ण उनियाल, पं. मोहित सती समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। मंदिर के कपाट बंद करने से पूर्व भगवान नारायण की पंचायत से उनके बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी को बाहर लाया जाएगा। इसके बाद मां लक्ष्मी गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगी। उधर, पंच बदरी में शामिल भविष्य बदरी धाम के कपाट भी दोपहर बाद 3.35 बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। परंपरा के अनुसार भविष्य बदरी धाम के कपाट बदरीनाथ धाम के साथ ही खोले और बंद किए जाते हैं।
सुबह 7.30 बजे बंद होंगे मध्यमेश्वर धाम के कपाट
पंच केदारों में शामिल द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम के कपाट भी गुरुवार सुबह 7.30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद बाबा मध्यमेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी। 20 नवंबर को डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी, 21 नवंबर को उनियाणा, राऊलैक, बुरुवा व मनसूना होते हुए गिरिया गांव और 22 नवंबर को फाफंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली व डंगवाड़ी होते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी।

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