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सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकारा नाम का महत्व

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नई दिल्ली, एजेंसी । एक व्यक्ति का अपने नाम पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए। कानून के जरिए व्यक्तियों को इस तरह के नियंत्रण को बनाए रखने में सक्षम बनाना चाहिए। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने कही। दरअसल हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने प्रमाणपत्रों में सुधार या परिवर्तन दर्ज करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्णा मुरारी की पीठ ने सीबीएसई को परिणाम प्रकाशित करने से पहले रिकर्ड में अपने नाम को सही करने के लिए लगाई गई शर्तों को अत्यधिक और अनुचितश् घोषित करते हुए उन उपनियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं।
अदालत ने सीबीएसई के उपनियमों की वैधता पर सवाल उठाने वाली 22 याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि किसी भी शैक्षिक मानकों के रखरखाव से संबंधित कोई भी बोर्ड अपने छात्रों की पहचान को प्रभावित करने की शक्ति का दावा नहीं कर सकता है। किसी की पहचान को नियंत्रित करने का अधिकार व्यक्ति के पास रहना चाहिए। यह जरूर है कि उचित प्रतिबंधों के अधीन यह अधिकार होना चाहिए।
कहा कि बोर्ड का दायित्व है कि वह नाम सुधार के लिए अतिरिक्त प्रशासनिक बोझ उठाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि गलत प्रमाणपत्र के कारण छात्रों को अवसर खोने की आशंका रहती है। बोर्ड द्वारा जारी प्रमाणपत्रों की उपयोगिता अब शैक्षिक उद्देश्यों तक ही सीमित नहीं है। इसके जरिए सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति भी होती है।

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