जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पीटेलिटी मैनेजमेंट एंड साइंसेस (आईएचएमएस) कॉलेज कोटद्वार के दो प्रतिभाशाली छात्रों ने दृष्टि बाधित दिव्यांग जनों के लिए स्मार्ट ग्लासेस का आविष्कार किया है।
कालेज के प्राचार्य डॉ. अश्वनी शर्मा ने बताया कि बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए) के छात्र प्रांजल और मोहम्मद मुनाजरि हुसैन ने मिलकर एक अभिनव तकनीकी प्रोटोटाइप (स्मार्ट ग्लासेस) तैयार किया है। जिसे “स्मार्ट ग्लासेस” नाम दिया गया है। यह प्रोटोटाइप खासतौर पर दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए डिजाइन किया गया है। जिससे वे अपने आसपास के वातावरण में बेहतर तरीके से नेविगेट कर सकें और अधिक आत्मनिर्भर बन सकेंगे। बताया कि स्मार्ट ग्लासेस को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह पहनने में आरामदायक हो और लुक में सामान्य चश्मे जैसा लगे। फ्रेम में लगे अल्ट्रासोनिक सेंसर उपयोगकर्ता को सामने मौजूद अवरोधों की सटीक जानकारी देता है, जिससे उनकी सुरक्षा और आत्मनिर्भरता दोनों बढ़ती है। अरुडिनो यूनो एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म होने के कारण इसमें भविष्य में कई और उपयोगी फीचर्स जोड़े जा सकते हैं। जैसे कि कैमरा, टेक्स्ट रीडर या जायरॉस्कोप जिससे यह डिवाइस सीढ़ियों की पहचान, लिखावट पढ़ने या दिशा निर्धारण जैसे कार्यों में भी मददगार बन सकता है। उन्होंने बताया कि मोहम्मद मुनाजरि हुसैन और प्रांजल द्वारा किया गया यह नवाचार न केवल तकनीकी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह सामाजिक संवेदनशीलता का भी परिचायक है। यह प्रोजेक्ट दृष्टिबाधित लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है और समाज में समावेशिता को बढ़ावा देने का उदाहरण भी।
इस तरह कार्य करता है प्रोटोटाइप (स्मार्ट ग्लासेस)
इन स्मार्ट ग्लासेस में अरुडिनो यूनो माइक्रोकंट्रोलर बोर्ड, अल्ट्रासोनिक सेंसर और बजर का उपयोग किया गया है। अल्ट्रासोनिक सेंसर सामने की ओर तरंगें छोड़ता है, जो किसी भी वस्तु से टकराकर वापस लौटती हैं। अरुडिनो यूनो इन संकेतों के माध्यम से यह अनुमान लगाता है कि कोई अवरोध कितनी दूरी पर है। जब कोई वस्तु एक निश्चित दूरी के भीतर आती है, तो बजर के जरिए श्रवण संकेत दिया जाता है, जिससे पहनने वाला व्यक्ति सतर्क हो जाता है और टकराने से बच सकता है।