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‘कुछ शुभचिंतक मुझे मनाने की कोशिश कर रहे, भाजपा के साथ कभी नहीं जाऊंगा’, शरद पवार का बड़ा बयान

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मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने राज्य के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के साथ हुई सीक्रेट बैठक को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि कुछ शुभचिंतक मुझे मनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं भाजपा के साथ कभी नहीं जाऊंगा। अजित पवार के साथ मेरी मुलाकात गुप्त नहीं है। वह मेरे भतीजे हैं और मैं परिवार का सबसे वरिष्ठ सदस्य हूं।
उन्होंने कहा कि हममें से कुछ लोगों ने एक अलग रुख अपनाया है। हमारे कुछ शुभचिंतक यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हमारे रुख में कोई बदलाव हो सकता है। यही कारण है कि वे सौहार्दपूर्ण चर्चा करने की कोशिश कर रहे हैं। अजित से मुलाकात के बारे में पवार ने कहा कि मैं आपको एक तथ्य बताना चाहता हूं कि वह मेरे भतीजे हैं। भतीजे से मिलने में क्या गलत है? यदि परिवार का कोई वरिष्ठ व्यक्ति परिवार के किसी अन्य सदस्य से मिलना चाहता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले शरद पवार और राकांपा के बागी गुट का नेतृत्व कर रहे अजित पवार के बीच पुणे में बैठक से महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं थीं। इस पर राकांपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि पार्टी संस्थापक और उनके भतीजे के बीच क्या बातचीत हुई और यह कोई गोपनीय बैठक नहीं थी।
शरद पवार के पोते और राकांपा विधायक रोहित पवार ने भी कहा कि उन्हें भी ऐसी किसी मुलाकात की जानकारी नहीं है, लेकिन अगर मुलाकात हुई है, तो भी परिवार में संवाद बनाए रखने में कुछ भी गलत नहीं है।
मामले में जब राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया तो उन्होंने इस तरह की किसी भी बैठक की कोई जानकारी होने से इनकार किया। भाजपा नेता ने कहा कि मैं आपको कोई जानकारी नहीं दे सकता।
सूत्रों के मुताबिक, शरद पवार और अजित पवार ने शनिवार को पुणे में एक कारोबारी के आवास पर मुलाकात की थी। बताया गया कि शरद पवार शनिवार दोपहर में करीब एक बजे कोरेगांव पार्क क्षेत्र में कारोबारी के आवास पर पहुंचे थे। वे शाम करीब पांच बजे वहां से चले गए। इसके लगभग दो घंटे के बाद शाम पौने सात बजे अजित पवार को भी परिसर से बाहर निकलते देखा गया।
इससे पहले महाराष्ट्र में पिछले महीने अजित पवार ने शरद पवार से बगावत कर ली थी। उन्होंने शिवसेना-भाजपा की सरकार में शामिल होने का फैसला किया था और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। अजित पवार के साथ उनके समर्थक आठ राकांपा विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी।

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