उत्तराखंड

श्रीनगर को नगर निगम बनाना ठीक नहीं

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श्रीनगर को नगर निगम बनाने के खिलाफ जमा आपत्तियों पर हुई जनसुनवाई
जयन्त प्रतिनिधि
श्रीनगर गढ़वाल: जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदंडे की अध्यक्षता में सोमवार को तहसील सभागार में प्रस्तावित नगर निगम श्रीनगर को लेकर मिली आपत्तियों पर जनसुनवाई हुई। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने श्रीनगर को नगर निगम बनाने की योजना का विरोध किया। बैठक में श्रीनगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी, ब्लाक प्रमुख भवानी गायत्री, कलियासौड़ की प्रधान सावित्री देवी, डुंगरीपंथ की प्रधान ममता देवी, स्वीत प्रधान राजेंद्र मोहन, गहड़ की प्रधान रुकमणि देवी समेत कई व्यक्तियों ने नगर निगम के खिलाफ अपना पक्ष रखा। कहा कि श्रीनगर को नगर निगम बनाना ठीक नही है।
प्रस्तावित नगर निगम के विरोध में नगरपालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी की तरफ से टिहरी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट शांति प्रसाद भट्ट ने जिलाधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से वर्ष 2013 में जारी शासनादेश के निर्धारित मानक श्रीनगर निगम को लेकर पूरे नहीं होते हैं। 21 गांवों को मिलाने के बाद भी प्रस्तावित नगर निगम की कुल जनसंख्या 37911 ही होगी, जबकि मानक के अनुसार 90 हजार से अधिक जनसंख्या होनी जरूरी है। एडवोकेट शांति भट्ट का कहना था कि यदि बिना मानकों को श्रीनगर को नगर निगम बनाया जाता है तो मसूरी, पिथौरागढ़, नैनीताल सहित प्रदेश के दस अन्य नगरपालिकाओं को भी निगम बनाना पड़ेगा। कलियासौड़ की प्रधान सावित्री देवी का कहना था कि गांवों की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां भी बिल्कुल अलग हैं। ग्रामीण किसी भी स्थिति में नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहते हैं। मनरेगा का लाभ भी नहीं मिलेगा। डुंगरीपंथ की प्रधान ममता देवी, गहड़ प्रधान रुकमणि देवी ने नगर निगम के विरोध में पक्ष रखा। नगरपालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी ने कहा कि नगर निगम को लेकर पालिका बोर्ड में भी कोई प्रस्ताव पारित तक नहीं किया गया है और अब निर्धारित मानकों के विपरीत नगर निगम बनाने की बात की जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप तिवाड़ी ने कहा कि जिन गांवों को नगर निगम में मिलाने की बात की जा रही है उनमें से कई गांव के लिए तो पैदल जाने का रास्ता भी ठीक नहीं है। सुनवाई के समय बैठक में डीपीआरओ और पालिका के अधिशासी अधिकारी तक मौजूद नहीं हैं। स्वीत के ग्राम प्रधान राजेंद्र मोहन ने कहा कि नगर निगम में शामिल होने से गांवों की कृषि भूमि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। जबकि अधिकांश ग्रामीण कृषि पर ही निर्भर हैं। जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि प्रस्तावित नगर निगम श्रीनगर को लेकर की गई आपत्तियों पर सुनवाई के बाद अब रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी।

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