बिग ब्रेकिंग

सुप्रीम कोर्ट ने 26 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की मांग वाली याचिका को किया खारिज

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने एक विवाहित महिला की 26 सप्ताह से अधिक समय की गर्भावस्था समाप्त करने की उसकी याचिका सोमवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के प्रावधानों का पालन करते हुए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल पूर्ण न्याय के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल हर मामले में नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नयी दिल्ली से कहा कि वह महिला को गर्भावस्था पूरी होने तक जारी रखने के लिए सभी चिकित्सा सहायता और सहायता प्रदान करे।
शीर्ष अदालत ने अविकसित बच्चे को समय से पहले जन्म देने के विकल्प की गुहार भी खारिज कर दी और कहा कि यदि माता-पिता चाहें तो सरकार जन्म के बाद बच्चे की देखभाल कर सकती है। पीठ ने 13 अक्टूबर को उस महिला की शारीरिक और चिकित्सीय स्थितियों का नए सिरे से मूल्यांकन करने का निर्देश दिया था, जिसने अपनी मानसिक बीमारियों के कारण गर्भपात की अनुमति मांगी थी। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को महिला से गर्भावस्था समाप्त करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था, क्योंकि उसका भ्रूण अब एक अजन्मा बच्चा है और वह उसे मार नहीं सकती।
पीठ ने डॉक्टरों के लिए गंभीर नैतिक दुविधा पर भी विचार किया था, क्योंकि गर्भावस्था को समाप्त करना भ्रूण हत्या के समान होगा। पीठ ने पूछा था, “महिला की स्वायत्तता सर्वोपरि होनी चाहिए, लेकिन अजन्मे बच्चे का क्या, कोई भी उसके लिए पेश नहीं हो रहा है। आप अजन्मे बच्चे के अधिकारों को कैसे संतुलित करते हैं।” शीर्ष अदालत की दो महिला न्यायाधीश बुधवार को इस बात पर असहमत व्यक्त की थीं कि उस महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जाए या नहीं, जिसे पहले अदालत ने गर्भपात की अनुमति दी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!