उत्तराखंड

प्रातिक चिकित्सा कार्यशाला के चतुर्थ दिवस में मृदा चिकित्सा की विधि सिखाई

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अल्मोड़ा। योग विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के अंतर्गत संचालित योग एवं प्रातिक चिकित्सा केंद्र द्वारा प्रातिक चिकित्सा एवं चिकित्सकीय उपचार विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला जारी है। कार्यशाला के चौथे दिन के प्रथम सत्र में मृदा चिकित्सा की विभिन्न पद्घतियों के विषय में बताया गया। योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष ड नवीन चन्द्र भट्ट ने मृदा चिकित्सा के सिद्घान्तों के विषय में बताया। योग शिक्षक लल्लन कुमार सिंह ने मृदा चिकित्सा के महत्व, योग शिक्षक रजनीश जोशी ने मृदा तत्व चिकित्सा की अनेक विधियों तथा विद्या नेगी ने विभिन्न ग्रंथो में मिट्टी के महत्व पर प्रकाश डाला।
इसके पश्चात कार्यशाला के द्वितीय सत्र में योग व प्रातिक चिकित्सा विशेषज्ञ गिरीश अधिकारी द्वारा मिट्टी तत्व की विविध विधियों का परिचय देते हुए सिर की गीली मिट्टी की पट्टी, आँखों की गीली मिट्टी की पट्टी का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिया गया तथा इनके चिकित्सीय अनुप्रयोग के बारे में बताया गया। तृतीय सत्र में प्रतिभागियों को मिट्टी तत्व के अंतर्गत आने वाली चिकित्सा कान की गीली मिट्टी की पट्टी, चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का प्रशिक्षण देते हुए शरीर के अलग-अलग अंगों की चिकित्सा के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रोगों के निवारण की अनेक प्रयोगात्मक विधियों के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर सीएनवाईएस, डीएनवाईएस के छात्र नितिन पांडे, कविता खनी, प्रियांशु भैंसोंड़ा, आरती कनवाल, दीपा जोशी, सूरज बिष्ट, कुनाल बिष्ट, चंदा नेगी, अंजलि किरण, निशा बिष्ट, करिश्मा, सौरभ लटवाल, ललित खोलिया, बबिता, भावना अधिकारी, भावना उपाध्याय, कोमल कांडपाल, कविता खनी, दीपक बिष्ट आदि छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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