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केंद्र ने 22वें विधि आयोग का कार्यकाल डेढ़ साल के लिए बढ़ाया, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया फैसला

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नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22वें विधि आयोग का कार्यकाल डेढ़ वर्ष बढ़ाये जाने को बुधवार को मंजूरी दे दी। इस आयोग को अप्रासंगिक कानूनों की पहचान करने एवं उन्हें निरस्त करने की सिफारिश करने का दायित्व दिया गया था। सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बयान में कहा गया है कि अध्यक्ष और सदस्यों के हाल ही में 22वें विधि आयोग के पदभार ग्रहण करने और कई लंबित परियोजनाओं के कारण इसके कार्यकाल को 31 अगस्त 2024 तक बढ़ाया जाता है। इसका कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया था। 22वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को तीन साल की अवधि के लिए किया गया था और इसके अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त)ातुराज अवस्थी ने नौ नवंबर, 2022 को पदभार ग्रहण किया।
बयान के अनुसार, अप्रासंगिक कानूनों की पहचान करने के साथ आयोग को नीति निर्देशक सिद्घांतों एवं संविधान की प्रस्तावना के निर्धारित उद्देश्यों को लागू करने की दिशा में जरूरी समझे जाने वाले नये विधान को लागू करने पर सुझाव देने का दायित्व भी सौंपा गया है। नीति निर्देशक सिद्घांत के तहत अनुच्टेद 44 के अनुसार, सरकार भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी।
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा को सूचित किया था कि अध्यक्ष का कार्यकाल आयोग की अवधि बीतने के साथ समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा था कि 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2018 को समाप्त हो गया था। विधि आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, समान नागरिक संहिता से संबंधित मामला 22वें विधि आयोग द्वारा विचार के लिए उठाया जा सकता है।

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