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पहला सर्वेक्षण पोत ‘संध्याक’ नौसेना में शामिल, हिंद महासागर में बढ़ेगी भारतीय समुद्री सेना की ताकत

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नई दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में शनिवार को सर्वेक्षण पोत ‘संध्याक’ को औपचारिक तौर पर नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया। नौसेना के बेड़े में इसे शामिल किया जाना हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री ताकत बढ़ाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। इसका उपयोग हाइड्रोग्राफी सर्वेक्षण में किया जाएगा जैसे चीनी नौसेना भारत और अन्य के निकट महासागर में करती है। रक्षा मंत्रालय ने गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) के साथ 30 अक्तूबर, 2018 को 2435 करोड़ रुपए की कुल लागत से चार सर्वेक्षण पोतों (लार्ज) का निर्माण करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।
इन पोतों को इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग क्लासिफिकेशन सोसायटी के नियमों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है। इस पोत की प्राथमिक भूमिका बंदरगाह तक पहुंचने वाले मार्गों का संपूर्ण तटीय और डीप-वॉटर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना और नौवहन मार्गों का निर्धारण करना होगी। इसके परिचालन क्षेत्र में ईईजेड, एक्सटेंडेड कॉन्टिनेंटल शेल्फ तक की समुद्री सीमाएं शामिल हैं। ये पोत रक्षा और नागरिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्र विज्ञान और भू-भौतिकीय डाटा भी एकत्र करेंगे।
संध्याक को चार दिसंबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। यह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में बनाए जा रहे चार सर्वेक्षण पोत में से पहला पोत है। यह पोत बंदरगाह तक पहुंचने वाले मार्गों का सर्वेक्षण करने, सुरक्षित नौवहन मार्गों का निर्धारण करने के साथ कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों में भी शामिल होगा।

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