कोटद्वार-पौड़ी

सड़क बनी सपना, डोली सहारे ग्रामीणों की जिंदगी

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सड़क सुविधा को तरस रहे बीरोंखाल के चौरखिंडा मल्ला गांव के ग्रामीण
सड़क नहीं होने से चौरखिंडा मल्ला गांव से लगातार हो रहा पलायन
जयन्त प्रतिनिधि।
भले ही सरकार गांव-गांव को सड़क से जोड़ने के दावे कर रही हो। लेकिन, हकीकत यह है कि सड़क सुविधा के अभाव में आज भी बीरोंखाल के चौरखिंडा मल्ला गांव के ग्रमीण पलायन को मजबूर हो रहे हैं। लाख शिकायत के बाद भी सरकारी सिस्टम गांव तक सड़क पहुंचाने की सुध नहीं ले रहा। बीमार ग्रामीणों को अस्पताल पहुचाने के लिए डोली ही एक सहारा बनी हुई है।
चौरखिंडा मल्ला गांव के ग्रामीणों को आज भी मुख्य सड़क काणाखेत से गांव पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। जबकि, यह गांव बीरोंखाल ब्लाक से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में न तो शिक्षा की सुविधा है और न ही स्वास्थ सुविधा। नतीजा पांच वर्ष पूर्व जिस चौरखिंडा मल्ला गांव में सौ से अधिक परिवार रहते थे वहां अब मात्र बीस से तीस परिवार ही रह गए हैं। इसमे भी अधिकांश परिवार पलायन की तैयारी कर रहे हैं। तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई में मरीज को डोली के सहारे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल पहुंचा व लाना ग्रामीणों के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन रही है। यहीं नहीं चारों ओर घनघोर जंगल से घिरे मार्ग पर हर समय जंगली जानवरों का डर बना रहता है।

गांव नहीं आते मेहमान
ग्राम चौरखिंडा मल्ला में सड़क सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीण खुद को दुनिया से कटा हुआ महसूस करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने के कारण गांव में नाते-रिश्तेदार आने से भी कतराते हैं। विधानसभा व लोकसभा चुनाव में हर बार जनप्रतिनिधि गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के दावे करते हैं। लेकिन, सत्ता मिलने के बाद वह मुड़कर भी नहीं देखते। गांव के बच्चों को भी स्कूल के लिए दो किलोमीटर दूर चौरखिंडा तल्ला की दौड़ लगाते हैं।

वन भूमि पत्रावली वन विभाग को भेजी गई थी। जिसके बाद फाइल उपजिलाधिकारी कार्यालय में है। स्वीकृति मिलते ही मार्ग निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा...तस्लीम अहमद, एई लोकनिर्माण विभाग

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