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संसदीय समिति ने सड़क परिवहन मंत्रालय को दिए कई सुझाव, अमेरिका की तर्ज पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कहा

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नई दिल्ली, एजेंसी। संसद की स्थायी समिति ने सड़क परिवहन मंत्रालय से कहा है कि उसे अमेरिका के फेडरल हाईवे एडमिनिस्ट्रेशन की तर्ज पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में राष्ट्रीय राजमार्गों पर परिवर्तनीय गति सीमा की प्रणाली लागू करना चाहिए। समिति के अनुसार इस तरह की प्रणाली से अमेरिका में 34 प्रतिशत दुर्घटनाओं में कमी आई है और इसे अपने देश में भी आजमाया जा सकता है।
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति से संबंधित स्थायी समिति ने पिछले दिनों पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मंत्रालय को इस तरह की व्यवस्था की व्यावहारिकता का परीक्षण करना चाहिए, क्योंकि गति सीमा में कई परिवर्तनीय पहलुओं का ध्यान रखना होगा, जैसे ट्रैफिक का कम या ज्यादा होना। समिति की यह सिफारिश इस लिहाज से अहम है, क्योंकि सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार ओवरस्पीडिंग दुर्घटनाओं और मौतों का सबसे बड़ा कारण माना गया है।
2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 71 प्रतिशत दुर्घटनाएं ओवरस्पीडिंग के कारण हुईं। वैसे, इस निष्कर्ष से तमाम सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस आधार पर अपनी असहमति भी जताई है कि यह सड़क दुर्घटनाओं की सही पहचान न कर पाने और चीजों के सामान्यीकरण का नतीजा है। समिति ने इस बात की भी चिंता की है कि स्पीड लिमिट की वाहन सवारों को सही तरह सूचना नहीं मिल पाती। इसलिए मंत्रालय को इससे संबंधित साइनेज के आकार तथा विशिष्टताओं पर गौर करना चाहिए।
समिति ने कहा है कि स्पीड लिमिट के बोर्ड का निगाह से चूक जाना स्वाभाविक है, क्योंकि अक्सर वे पेड़ों की डाली अथवा होर्डिंग में ढक जाते हैं। मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ड्राइवरों को स्पीड लिमिट का पालन करने के लिए इससे संबंधित बोर्डों को प्रयास करके देखना न पड़े। मंत्रालय स्पीड लिमिट के लिए ओवरहेड साइनेज के संभावित फायदों का आकलन कर सकता है।
तमाम प्रयासों और सख्ती की घोषणा के बावजूद दो पहिया वाहनों को एक्सप्रेस वे में प्रतिबंध के बावजूद घुसने से रोक पाने में राज्य सरकारों की नाकामी के बाद स्थायी समिति ने सड़क परिवहन मंत्रालय को ऐसे वाहनों पर स्वत: कार्रवाई की व्यवस्था करने के लिए भी कहा है। अगर मंत्रालय इस सिफारिश पर अमल के लिए कोई नियम-कानून तय भी कर दे तो इसकी सार्थकता तभी होगी जब राज्य अपने आप ऐसे वाहनों का चालान करने के लिए तकनीकी व्यवस्था करने के लिए आगे आएंगे।
मालूम हो कि अभी तो स्थिति है कि केवल दस राज्यों ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर भारी ट्रैफिक वाले स्थानों की निगरानी के लिए कैमरे अथवा आटोमेटेड नंबर प्लेट पहचान सिस्टम स्थापित किया है। समिति ने कहा है कि साल 2021 में मार्घ दुर्घटनाओं में जितने लोगों की जान गई, उसमें 41 प्रतिशत दो पहिया वाहन चालक अथवा सवार थे। इसलिए यह जरूरी है कि दो पहिया वाहन चालकों और सवारों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर जन जागरूकता अभियान पूरी गंभीरता से चलाए जाएं।
मंत्रालय को एक्सप्रेस वे पर इन्फोर्समेंट में सुधार के लिए आटोमेटेड सिस्टम की मदद से उन दो पहिया वाहनों को दंडित करने के उपाय करने पर विचार करना चाहिए जो प्रतिबंध के बावजूद इन सड़कों में घुस जाते हैं।

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