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केवल विकास के नाम पर गुमराह की जा रही कोटद्वार की जनता: उनियाल

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पत्रकारों से वार्ता करते हुए बोले कोटद्वार बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक नागेंद्र उनियाल
कोटद्वार बचाने के लिए जनता के साथ मिलकर धरातल पर संघर्ष करेगी समिति
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: कोटद्वार बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नागेंद्र उनियाल ने कहा कि राज्य गठन के बाद से विकास के नाम पर केवल कोटद्वार की जनता को गुमराह किया गया। हालत यह है कि आज भी कोटद्वार वासी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। यही नहीं पूर्व में मिलने वाली कई महत्वपूर्ण सुविधाओं को बंद कर दिया गया। कहा कि समिति किसी भी हाल में जनता का शोषण बर्दाश्त नहीं करेगी। यदि जल्द समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ तो जनता के साथ मिलकर आंदोलन चलाया जाएगा।
रविवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए समिति के संयोजक नागेंद्र उनियाल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जनता के भारी विरोध के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने 18 अप्रैल 2015 को शानादेश जारी कर लालढांग रेंज व कोटद्वार रेंज के अधिकांश भाग को राजाजी राष्ट्रीय पार्क के बफर जोन में शामिल कर दिया था। इसमें चिल्लरखाल-लालढांग वन मोटर मार्ग ही नहीं कण्वाश्रम-मवाकोट-पनियाली मोटर मार्ग शामिल है। राजाजी राष्ट्रीय पार्क के वफर जोन में शामिल होने पर लालढांग और कोटद्वार वन रेंज में उत्तराखंड वन विभाग को किसी निर्माण/मरम्मत कार्य के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण व भारतीय वन्य जीव परिषद से अनुमति लेनी पड़ती है। 07-14-2018 व 28-12-2018 को तत्कालीन कोटद्वार विधायक वन मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने चिल्लरखाल- लालढांग मोटर मार्ग की वन भूमि को लोनिवि को हस्तांतरित करा दिया था। जिसे उच्च न्यायालय ने गलत माना और वह भूमि वन विभाग को लौटाने की बात कही। साथ ही किसी भी निर्माण के लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री से अनुमति लेने की बात कही गई। इसके बाद वन विभाग ने चिल्लरखाल वन मोटर मार्ग की मरम्मत के लिए रुपये 613.30 लाख का आंगणन स्वीकार कर 200.00 लाख रुपये 31 मार्च 2021 को जारी कर दिए। कार्यदायी संस्था लोनिवि ने इसपर काम शुरू कर 91.66 लाख रुपये खर्च कर दिए। 11.11.2021 को वन विभाग ने यह कहते हुए कि सेंटर इम्पावर्ड कमेटी की 16.09.2021 की बैठक के बाद कोई निर्णय लिए जाने की जानकारी नहीं है। इसलिए कमेटी द्वारा अंतिम निर्णय आने तक लोनिवि को काम रोकने का आदेश दिया। आश्चर्य की बात है कि लगभग ढाई साल बीत जाने के बाद आज तक भी सेंटर इम्पावर्ड कमेटी की न तो बैठक और नहीं उसके निर्णय की जानकारी है। स्पष्ट है कि स्थानीय नेता नहीं चालते कि चिल्लरखाल-लालाढांग सड़क बने। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जल संस्थान की कौडिया रेंज बिजनौर वन प्रभाग नजीबाबाद की चालीस एकड सीवर फार्म व 0.059 एकड वन भूमि सीवर लाईन हेतु 18.01.1986 तक लीज पर दी गई थी। इस लीज को पचास वर्ष तक बढ़ाने के लिए तब से लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। मोटर नगर में तमाम घोटालों के कारण अव्यवस्था बनी हुई है। ऐसे में सरकार को बस अड्डा निर्माण के नाम पर हुई इस घोटाले की सीबीआई जांच करवानी चाहिए। उन्होंने आश्वासन के बाद भी मेडिकल कॉलेज व कोटद्वार जिला नहीं बनने पर भी आक्रोश व्यक्त किया।

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