महाराष्ट्र तक पहुंची लखीमपुर खीरी हिंसा की आंच, 11 अक्टूबर को बुलाया गया राज्य में बंद
मुंबई, एजेंसी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर पूरे देश में खूब राजनीति हो रही है। सभी विपक्षी दल इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को घेरने में जुट गए हैं। सभी दल अपने आप को किसानों का रहनुमा साबित करने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने बताया कि लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना के खिलाफ महाविकास अघाड़ी (एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन) ने 11 अक्टूबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जानकारी देते हुए बताया कि महाराष्ट्र कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना में किसानों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। कैबिनेट ने भी दो मिनट खड़े होकर मृतक किसानों को श्रद्घांजलि दी।
शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि लखीमपुर खीरी में दुखद घटना हुई है। राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं। देश में ऐसी ऐसी घटनाएं हो रही है। प्रियंका गांधी जी को गिरफ्तार किया है, ऐसे समय में उनसे मिलना बहुत जरूरी है। अगर कानून सबके लिए समान है तो प्रियंका गांधी जेल में क्यों हैं और मंत्री खुले घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर यही घटना किसी और राज्य में हुई होती तो अब तक भाजपा के लोग कोहराम मचा रहे होते। संजय राउत ने कहा कि अगर कोई किसानों के दुखों में शरीक होना चाहता है तो सरकार उसको क्यों रोकना चाहती है? लोकतंत्र में ये अधिकार सबको है। किसी ने किसानों की आवाज उठाई तो उसको रोका क्यों जा रहा है?
उधर, लखीमपुर खीरी मामले पर एनसीपी सु्प्रीमो शरद पवार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग में जैसी स्थिति थी, वैसी ही आज यूपी में हो गई है। किसान ये कभी नहीं भूलेगा। केंद्र सरकार को असंतोष का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के काफिले ने किसानों की हत्या की है। किसानों की हत्या के लिए यूपी सरकार और केंद्र सरकार जिम्मेदार है। शरद पवार ने इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की कमेटी से करवाने की मांग की है। उन्होंने लखीमपुर खीरी की घटना को सत्ता का दुरुपयोग बताया।