लोकतंत्र में लोक सेवकों की भूमिका होती है अहम : प्रो. सेमवाल
सरकार और जनता के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं लोक सेवक
जयन्त प्रतिनिधि।
श्रीनगर। एचएनबी गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से ऑन लाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। लोकतंत्र में नौकरशाहों की भूमिका विवाद और समाधान विषय पर आयोजित परिचर्चा में विषय विशेषज्ञों व शोध छात्रों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र में लोक सेवकों की भूमिका अहम होती है।
रविवार को आयोजित ऑन लाइन परिचर्चा में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि लोकतंत्र में लोक सेवकों की बड़ी अहम भूमिका है। यह सरकार और जनता के बीच में एक कड़ी के रूप में काम करते हैं। प्रो. सेमवाल ने कहा कि सरकार 5 साल में बदल जाती है, परंतु नौकरशाही वही रहती है, इसलिए इनको स्थाई कार्यपालिका की संज्ञा भी दी गई है। नीतियों को लागू करना लोक सेवकों की प्राथमिक जिम्मेदारी है और उन नीतियों का लाभ समाज के गरीब, वंचित, पिछड़े तबकों को मिले यह जिम्मेदारी भी लोक सेवकों की ही है। समय के साथ सिविल सेवा में बदलाव हुए है और आगे भी बदलाव किए जाने चाहिए। प्रो. सेमवाल ने कहा कि विशेषज्ञ अधिकारियों की आवश्यकता के लिए सिविल सेवा में लेट्रल एंट्री इसी तरह का बदलाव है जिसे पारदर्शिता और संवैधानिकता के साथ क्रियान्वित किया जाना चाहिए ताकि बेहतर बदलाव सामने आए। शोध छात्रा शिवानी पांडे ने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए यह कहा कि किसी भी देश की विकास की गाड़ी तभी आगे बढ़ सकती है जब उसके दोनों पहिए यानी शासन और प्रशासन मिलकर काम करें। लोक सेवको से आज भी जनता को समस्याओं के समाधान की उम्मीद रहती है। इसी की वजह से आज सिविल सर्विस की परीक्षा को पास करने का सपना सभी युवा देखते हैं। चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग से आते हैं। इस व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता है, लेकिन बदलाव में देश के सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के शामिल किया जाना चाहिए तभी वह सकारात्मक होगा। परिचर्चा में एमए की छात्रा मनीषा राणा, शोध छात्र अरविंद सिंह रावत, देवेंद्र सिंह, सुशील कुमार, शुभम कुमार, महेश भट्ट, डा नरेश कुमार व अखिलेश ने भी विचार व्यक्त किए। परिचर्चा का संचालन ज्योति कुकरेती ने किया।