उत्तराखंड

अघोर तंत्र के प्रति आम घारणाओं को दूर करेगी आध्यात्मिक थ्रिलर मनस्वी

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भगवान शिव का ही स्वरूप है अघोर: स्वामी रविदेव शास्त्री
हरिद्वार। डिवाइन ब्लेसिंग स्टूडियो द्वारा निर्मित आध्यात्मिक थ्रिलर मनस्वी सात अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी। हरिद्वार आए फिल्म के एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर शिवकुमार शर्मा ने श्री साधु गरीबदासीय धर्मशाला सेवा आश्रम में जानकारी देते हुए बताया कि अघोर और तंत्र के प्रति आम जनधारणाओं को दूर करने के लिए इस फिल्म का निर्माण किया गया है। फिल्म के माध्यम से युवाओं को अध्यात्म का संदेश देने का प्रयास भी किया गया है। फिल्म मध्य भारत में हो रही बाल हत्याओं के मामले को सुलझाने जुटे सीबीआई अधिकारी सत्यकाम की आध्यात्मिक यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म की कहानी के संबंध में जानकारी देते हुए शिवकुमार शर्मा ने बताया कि केस सुलझाने के दौरान सत्यकाम की मुलाकात उनके गुरू अघोरी बाबा से होती है। अघोरी बाबा उनका परिचय बौद्ध भिक्षु लामा से कराते हैं। जो तंत्र को जीवन में शामिल करने के अर्थ पर प्रकाश डालते हैं। दो गुरूओं से मिले ज्ञान की मदद से सत्यकाम द्वारा हत्याओं के रहस्य को सुलझाने की बाहरी यात्रा को परम सत्य की खोज की उनकी आंतरिक यात्रा के साथ फिल्माया गया है। शिवकुमार शर्मा ने बताया कि फिल्म में सीबीआई अधिकारी सत्यकाम का किरदार रवि मित्तल, अघोरी बाबा का किरदार शशांक चौधरी तथा बौद्ध भिक्षु लामा का किरदार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र विशाल चौधरी ने निभाया है। फिल्म की सफलता के लिए निर्माता निर्देशकों को आशीर्वाद देते हुए युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि अध्यात्म भारत की सच्ची विरासत हैं। अघोर और तंत्र की आध्यात्मिक अवधारणाओं को बहुत संकीर्ण नजरिए से देखा जाता है। सामान्य धारणा में अघोर और तंत्र को शमशान और काला जादू से जोड़ा जाता है। जबकि अघोर भगवान शिव का ही स्वरूप है। इंदौर के जाने माने लेखक तथा मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल, आस्टेलिया और भारत में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित मनोज ठक्कर द्वारा निेर्देशित फिल्म मनस्वी अघोर और तंत्र के प्रति नकारात्मक अवधारणा को दूर करने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि युवा एकजुट होकर किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। मां गंगा की कृपा व आशीर्वाद से फिल्म अपार सफलता प्राप्त करेगीं। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद, महंत निर्मल दास, स्वामी दिनेश दास भी मौजूद रहे।

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