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आतंकियों ने किसी पर नहीं किया रहम; किसी ने जान की भीख मांगी तो किसी ने गर्भपात का नाटक कर बचाई जान

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नई दिल्ली , एजेंसी। इस्राइल और आतंकी संगठन हमास के बीच पांच दिनों से युद्ध जारी है। सात अक्तूबर को हमास द्वारा किए गए अचानक हमले के बाद इस्राइली सेना पलटवार कर रही है। गाजा में हवाई हमलों में अब तक 900 से अधिक फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है। वहीं, इस्राइल पर हमास के हमले में 1000 से अधिक लोगों की जानें गईं। साथ ही हमास और दूसरे फलस्तीनी इस्लामी चरमपंथी समूहों ने 150 से अधिक इस्राइली और विदेशी नागरिकों को बंधक बनाने का दावा किया है। इनमें इस्राइली सैनिक भी शामिल हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि 14 अमेरिकी मारे गए हैं और कुछ आतंकियों द्वारा बंधक भी बनाए गए हैं। वहीं अमेरिका ने यह भी कहा है कि वह इस्राइल के साथ मिलकर बंधकों को छुड़ाने पर काम कर रहा है। यह कोई पहली बार नहीं है जब लड़ाई में बंधकों का इस्तेमाल ढाल की तरह किया जा रहा है। इससे पहले इस्राइली कई ऐसे कठिन समय से गुजर चुके हैं और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
1972 में जर्मनी के म्यूनिख में हुए ओलंपिक खेलों की सुरक्षा में बड़ी सेंध लगी थी। म्यूनिख ओलंपिक के दौरान फलस्तीन के आतंकी संगठन ब्लैक सेप्टेंबर के आठ आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में दो इस्राइली खिलाड़ियों की मौत हुई थी और नौ खिलाड़ियों को कैद कर लिया गया था। सभी नौ खिलाड़ियों को बाद में मार दिया गया।
बाद में मोसाद ने हत्या का बदला ब्लैक सेप्टेंबर के आतंकियों से लिया। इसके लिए रैथ ऑफ गॉड अभियान चलाया गया था। यह ऑपरेशन करीब 20 सालों तक चला और मोसाद ने सभी आतंकियों से चुन-चुनकर बदला लिया।
म्यूनिख घटना के करीब ढाई साल बाद मई 1974 में इस्राइली मालोत नरसंहार का शिकार बने। तारीख थी 15 मई, जिस दिन इस्राइल अपना स्वतंत्र दिवस मनाता है। प्रवासी ज्यूसों के शहर मालोत में स्कूली छात्र ट्रिप पर आए थे। 14 मई को 11वीं के छात्रों की रात यहीं एक स्कूल में गुजरी। 15 मई को तड़के डेमोक्रेटिक फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ पलेस्टाइन (ऊाछढ) के तीन आतंकी लेबनान सीमा से इस्राइल में घुस आए। ये आतंकी इस्राइली सैनिकों की वेशभूषा में छिपकर आए थे। जैसे ही आतंकी मालोट के पास पहुंचे, उन्हें एक वैन का सामना करना पड़ा, जो फसुता नामक गांव से ईसाई अरब महिलाओं को काम से घर ला रही थी। एक आतंकी ने वाहन पर गोलीबारी की, जिसमें एक महिला की मौत हो गई और चालक और अन्य कर्मचारी घायल हो गए। बाद में एक घायल की मौत हो गई।
मालोत पहुंचकर आतंकवादियों ने कई घरों के घुसकर लोगों की हत्या कर दी। आतंकवादियों ने एक दंपती, उनके चार वर्षीय बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी और उनकी पांच वर्षीय बेटी मिरियम को घायल कर दिया। मारे गए लोगों में से फोर्टुना नाम की महिला सात महीने की गर्भवती थी, जबकि परिवार में एकमात्र जीवित व्यक्ति उनका 16 महीने का बेटा था।
वहां से आतंकवादी नेटिव मीर एलीमेंट्री स्कूल की ओर बढ़े जहां छात्र रात को ठहरे थे। रास्ते में उनकी मुलाकात एक सफाई कर्मचारी याकोव कदोश से हुई और उन्होंने स्कूल के लिए रास्ता पूछा। उन्होंने उसे पीटा और गोली मार कर हत्या कर दी।
आतंकवादियों ने स्कूल की इमारत पर धावा बोल दिया। स्कूल के चार में से तीन शिक्षक बच्चों को छोड़कर खिड़की के रास्ते भाग निकले। आतंकवादियों ने 105 छात्रों सहित 115 को बंधक बना लिया। आतंकी छात्रों को छोड़ने के बदले इस्राइल में आतंक के आरोप में बंद 23 कैदियों को रिहा करने की धमकी देने लगे। 12 घंटे से अधिक समय तक बच्चे एक संकरी कक्षा में छिपे रहे।
घटना की गवाह तजिपी मैमोन-बोक्रिस ने एक डॉक्यूमेंट्री में बताती हैं, ‘पूरे दिन बच्चों ने आतंकवादियों को उन्हें न मारने के लिए मनाने की कोशिश की। एक ने कहा, जल्द ही तुम सैनिक बन जाओगे…हमें अब तुम्हें रोकना होगा।’
उधर इस्राइल की सरकार ने बातचीत के लिए और समय मांगने का फैसला किया, लेकिन आतंकवादियों ने अनुरोध अस्वीकार कर दिया। यहां की संसद नेसेट ने एक आपातकालीन सत्र में बैठक की और बातचीत करने और 26 कैदियों को रिहा करने पर सहमति व्यक्त की। इस बीच तत्कालीन रक्षा मंत्री मोशे दयान और चीफ ऑफ स्टाफ मोर्दचाई गुर ने इस बात पर चर्चा की कि बचाव अभियान चलाया जाए या नहीं। क्योंकि तैयारी के लिए बहुत कम समय था और प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर को डर था कि आतंकवादी बच्चों सहित स्कूल को उड़ा देंगे।
उधर आतंकियों ने बंधक बनाए गए बच्चों को मारने के लिए समयसीमा तय कर दी। आतंकवादियों द्वारा लगाई गई समय सीमा से पंद्रह मिनट पहले विशेष बल इकाई ने एक बचाव अभियान चलाया। जब यह अभियान खत्म हुआ तो सभी तीन आतंकवादी मारे गए लेकिन इस्राइली सेना छात्रों को नहीं बचा पाई। आतंकियों ने 25 बंधकों को बेरहमी से मार दिया, जिनमें 22 बच्चे भी शामिल थे। घटना में अन्य 68 घायल हो गए।
अगले दिन इस्राइल ने दक्षिणी लेबनान में आतंकियों के ठिकानों पर बमबारी करके जवाबी कार्रवाई की, जिसमें कम से कम 27 आतंकी ढेर हो गए।
1976 में इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद द्वारा चलाया गया ऑपरेशन थंडरबोल्ट काफी चर्चित रहा है। रविवार 27 जून के दिन एयर फ्रांस फ्लाइट 139 तेल अवीव से उड़न भरी और पेरिस पहुंचने से पहले निर्धारित ठहराव एथेंस में हुआ। जर्मन बाडर-मेनहोफ आतंकवादी समूह से जुड़े विल्फ्रेड बोस और ब्रिगिट कुहमन पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ पलेस्टाइन के दो आतंकी ग्रीस में नए यात्रियों के साथ स्वर हुए और प्लेन को हाईजैक कर लिया। इन आतंकियों ने प्लेन को लीबिया के बेनगाजी में उतारा और इसमें ईंधन भरा। इसी दौरान हाईजैकेर्स ने ब्रिटेन में जन्मीं पैट्रिसिआ मार्टेल को छोड़ दिया। मार्टेल को इसलिए रिहा किया गया था क्योंकि उन्होंने खुद को चोट पहुंचाई और खून बहाकर हुए गर्भपात का नाटक किया।
मार्टेल यहां से लंदन पहुंचीं और घटना की जानकारी टक6 और मोसाद के गुप्तचरों को दी। महिला ने आतंकियों की फोटो देख उन्हें और उनके हथियारों को पहचान लिया। उधर प्लेन ने बेनगाजी से यूगांडा के लिए उड़ान भरी और 28 जून को दोपहर 3:15 बजे एंटेबे हवाई अड्डे पर पहुंचा। हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए युगांडा के सैनिक तैनात कर दिए गए। विमान 248 यात्रियों को लेकर उतरा और आतंकवादियों ने तुरंत यहूदी और इस्राइली बंधकों को बाकी बंदियों से अलग कर दिया।
अपने नागरिकों को युगांडा से मुक्त कराने के लिए मोसाद ने तीन जुलाई को ऑपरेशन थंडरबोल्ट चलाया। मोसाद आतंकियों द्वारा हाइजैक विमान को अपने नागरिकों के साथ युगांडा से मुक्त कराकर लाई थी।

 

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